गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) | Gayatri Mahavigyan (Part 3)

गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) | Gayatri Mahavigyan (Part 3)

गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) | Gayatri Mahavigyan (Part 3)

गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) | Gayatri Mahavigyan (Part 3) के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 03.8 MB है | पुस्तक में कुल 125 पृष्ठ हैं |नीचे गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गायत्री महाविज्ञन (भाग 3) पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, Knowledge

Name of the Book is : Gayatri Mahavigyan (Part 3) | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 03.8 MB | This Book has 125 Pages | The Download link of the book "Gayatri Mahavigyan (Part 3)" is given above, you can downlaod Gayatri Mahavigyan (Part 3) from the above link for free | Gayatri Mahavigyan (Part 3) is posted under following categories dharm, Knowledge |

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धना याच मुख गायत्री को पञ्चमुखी कहा गया है । पञ्चमुखी शंकर की भाँति गायत्री भी पञ्चमुखी है। पुराणों में ऐसा वर्णन कई जगह आया है, जिसमें वेदमाता गायत्री को पाँच मुखों वाली कहा गया है। अधिक मुख, अधिक हाथ-पाँव वाले देवताओं का होना कुछ अटपटा-सा लगता है । इसलिये बहुधा इस सम्बन्ध में सन्देह प्रकट किया जाता है । चार मुख वाले ब्रह्माजी, पाँच मुख वाले शिवजी, छ: मुख वाले कार्तिकेय जी बताये गये हैं । चतुर्भुजी विष्णु, अष्टभुजी दुर्गा, दशभुजी गणेश प्रसिद्ध हैं ।

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