मानसरोवर (भाग 4) | Mansarovar (Part 4)

मानसरोवर (भाग 4) | Mansarovar (Part 4)

मानसरोवर (भाग 4) | Mansarovar (Part 4)

मानसरोवर (भाग 4) | Mansarovar (Part 4) के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : मानसरोवर (भाग 4) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Premchand | Munshi Premchand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 12.02 MB है | पुस्तक में कुल 315 पृष्ठ हैं |नीचे मानसरोवर (भाग 4) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मानसरोवर (भाग 4) पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Mansarovar (Part 4) | This Book is written by Munshi Premchand | To Read and Download More Books written by Munshi Premchand in Hindi, Please Click : | The size of this book is 12.02 MB | This Book has 315 Pages | The Download link of the book "Mansarovar (Part 4)" is given above, you can downlaod Mansarovar (Part 4) from the above link for free | Mansarovar (Part 4) is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 12.02 MB
कुल पृष्ठ : 315

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खुदाई फौजदारों की एक फौज बना ली थी और उसके शतक से शाला पर शासन करता था। मुख्य अधिष्ठाता की आज्ञा टल जाय ; मगर क्या मजाल कि कोई उसके हुक्म की अवज्ञा कर सके। स्कूल के चपरासी और अर्दली उससे थर थर काँपते थे । इस्पेक्टर का मुशाइना होनेवाला था, मुख्य अधिछाता ने हुक्म दिया कि लड़के निर्दिष्ट समय से आधे घंटा पहले आ जायें । मतलब यह था कि लड़कों को मुआइने के बारे में कुछ जरूरी बाते बता दी जायें ; मगर दस बज गये, इस्पेक्टर साहब आकर बैठ गये, और मदरसे में एक लड़ का भी नहीं ग्यारह बजे सब छात्र इस तरह निकल पड़े, जैसे कोई पिंजरा खोल दिया गया हो ।

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