श्री योगदर्शन | Shri Yogdarshan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री योगदर्शन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 8.7 MB है | पुस्तक में कुल 302 पृष्ठ हैं |नीचे श्री योगदर्शन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री योगदर्शन पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Shri Yogdarshan | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 8.7 MB | This Book has 302 Pages | The Download link of the book "Shri Yogdarshan" is given above, you can downlaod Shri Yogdarshan from the above link for free | Shri Yogdarshan is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
मनुष्य समाज में जिस प्रकार शिल्पोन्नति से उसके बहिर्जगत्की उन्नति जानी जाती है उसी प्रकार दर्शन शास्त्र को उन्नतिसे उसके अन्तर्जगत्की, उन्नति समझी जाती है। जिस मनुष्य समाज ने जब जितनी शिल्पोन्नति साधन किया है वह मनुष्य समाज उस समय उतने हीं परिमाण से बहिर्जगत्सम्बन्धीय उन्नति के पथ में अग्रसर ओ है। शिल्पकी उन्नति के साथ ही साथ मनुष्य समाज में पदार्थ विज्ञान की उन्नति हुआ करती है।