एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) : गीता प्रेस हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Ek Lota Pani (Complete) : Geeta Press Hindi Book Free PDF Downloadएक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) : गीता प्रेस हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Ek Lota Pani (Complete) : Geeta Press Hindi Book Free PDF Download

एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) : गीता प्रेस | Ek Lota Pani (Complete) : Geeta Press

एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) : गीता प्रेस  | Ek Lota Pani (Complete) : Geeta Press

एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) : गीता प्रेस | Ek Lota Pani (Complete) : Geeta Press के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Geeta Press | Geeta Press की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 16.7 MB है | पुस्तक में कुल 158 पृष्ठ हैं |नीचे एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | एक लोटा पानी (सम्पूर्ण संग्रह) पुस्तक की श्रेणियां हैं : gita-press, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Ek Lota Pani (Complete) | This Book is written by Geeta Press | To Read and Download More Books written by Geeta Press in Hindi, Please Click : | The size of this book is 16.7 MB | This Book has 158 Pages | The Download link of the book "Ek Lota Pani (Complete)" is given above, you can downlaod Ek Lota Pani (Complete) from the above link for free | Ek Lota Pani (Complete) is posted under following categories gita-press, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 16.7 MB
कुल पृष्ठ : 158

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फिर एकादशी आयी। बाबाजौने आटा दिया, तय गरीबदासने कहा- पहली एकादशीमें अकेले लाकुरजी आये थे। अबकी बार ठकुरानी भी साथ आयेंगी, पाव भर आटा और दीजिये। समझे?
चाबाजीने सोचा कि भूखा रह गया होगा, इसलिये अकवाद कर रहा है। बेपरवाहीके साथ तीन पाय आटा तौलकर दे दिया। आलू भी तौलकर दे दिये। बाबाजीने उसको बात समझ नहीं सुनी ही नहीं। सुनी तो दिल्लगी मानी।।
दोपहर को फिर वही लीला हुई। छ: टिक्कर थे, सयपर नमकीन आलूका भुरता रखा था। ज्यों ही ठाकुरजीको बुलाया गया क्यों ही ठकुरानीसहित आप आ गये। दो टिक्कर भोग ही चले गये।
गुपाल-भूखे तो नहीं रहोगे गरीबदासा!
गरीब-उस दिन तो तीन हौ टिक्कर बचे थे और आज चार बचे हैं। भूखा नहीं रहेगा। समझे ?
गुपाल–परंतु अबकी एकादशीमें सरभर आटा लाना। नहीं तो भूखे रह जाओगे। समझे?
गुपाली चले गये। गरीबदास भोजन करने लगा। उसने गुणलशीकी बात नहीं याद रखी; क्योंकि वह इस बातको समग्र नहीं सका था। दिल्लगौ समझी थी।
फिर एकादशी आयी। गरीबदासने तीन पाव आटा लिया था, इसलिये छः टिक्कर बने थे। भोग लगाया गया। ठाकुरभी और ठकुरानोजीक साथ दो मूर्तियाँ और भी पधारी। सत्यभामा और रुक्मिणौजीसहित चारोंने चार टिक्कर उठा लिये। अपने लिये दो

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2 Comments

  1. Hi Sir,

    Looking for maharana pratap biography.
    I will be highly obliged if you provide this. Yours all efforts are priceless.

    Regards,
    Varun

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