जिसने उम्मीद के बीज बोये : जीन गिओनो हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Jisne Ummid Ke Beej Boye : Jean Giono Hindi Book Free PDF Download

जिसने उम्मीद के बीज बोये : जीन गिओनो हिंदी पुस्तक | Jisne Ummid Ke Beej Boye : Jean Giono Hindi Book

जिसने उम्मीद के बीज बोये : जीन गिओनो हिंदी पुस्तक | Jisne Ummid Ke Beej Boye : Jean Giono Hindi Book

जिसने उम्मीद के बीज बोये : जीन गिओनो हिंदी पुस्तक | Jisne Ummid Ke Beej Boye : Jean Giono Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जिसने उम्मीद के बीज बोये है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jean Giono | Jean Giono की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.14 MB है | पुस्तक में कुल 20 पृष्ठ हैं |नीचे जिसने उम्मीद के बीज बोये का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जिसने उम्मीद के बीज बोये पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, inspirational, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Jisne Ummid Ke Beej Boye | This Book is written by Jean Giono | To Read and Download More Books written by Jean Giono in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.14 MB | This Book has 20 Pages | The Download link of the book "Jisne Ummid Ke Beej Boye" is given above, you can downlaod Jisne Ummid Ke Beej Boye from the above link for free | Jisne Ummid Ke Beej Boye is posted under following categories children, inspirational, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , ,
पुस्तक का साइज : 1.14 MB
कुल पृष्ठ : 20

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कोयला बनाने का धंधा करते थे। कोयले के धंधे को वज़ह से आसपास के सभी पेड़ कट चुके थे । बेरहम हवा को रोकने-टोकने वाला कोई पेड़ नहीं बचा था। टीलों पर हरदम धूल भरी आंधी नाचा करती । कोयले के धंधे में कोई जयादा फायदा नहीं था। कोयले को गाड़ी से शहर तक ले जाते हुए दो दिन लग जाते थे। बदले में दलाल जो पैसा देते थे उससे मुशकिल से खरच निकल पाता था। करज़ बीमारी और बंजर ज़मीन के कारण कोयले का धंधा करने वाले परिवार भी तिल-तिल करके मर रहे थे। खाने के बाद गडेरिए ने एक छोटा थैला उठाया और उसके सारे बीज मेज़ पर उड़ेल दिए। फिर वह बहुत ं हू 11 | थे 1 | | 1 | | 4 | के लय 0 गो गए गा. थी भा धयान से उनकी जांच-परख करने लगा। वह एक-एक बीज को उठाता उसे गौर से देखता और बाद में उनमें से अचछे बीजों को एक तरफ छांट कर रख देता। मैंने सिगरेट का एक कश खींचा और सोचा कि मैं बीज छंटाई के काम में गड़ेरिए की कुछ मदद करूं। परनतु उसने कहा कि यह काम वह खुद ही करेगा। और जिस लगन और एकागरता के साथ वह अपना काम कर रहा था उसे देख कर मुझे अपनी यह दखलंदाज़ी ठीक भी नहीं लगी । हम लोगों के बीच कुल मिलाकर इतनी थोड़ी ही बातचीत हुई थी । बीजों को छांटने के बाद वह उसमें से अचछे बीजों की दस-दस को ढेरी बनाने लगा। ढेरी बनाते वक‍त वह बीजों का बहुत बारीको से मुआयना डर | ं 1५ भ ॥॥ 0 ) ना ॥ 1 न ब ) ग ॥॥। | 0 डी ं ं | 22 || 0 || कि | हि दि लि रि

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