भारत के महान वैज्ञानिक और उनकी जीवनी : अरविन्द गुप्ता | Bharat Ke Mahan Vaigyanik Famous Indian Scientists And Their Biographies : Arvind Gupta के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारत के महान वैज्ञानिक और उनकी जीवनी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arvind Gupta | इस पुस्तक का कुल साइज 5.15 MB है | पुस्तक में कुल 91 पृष्ठ हैं |नीचे भारत के महान वैज्ञानिक और उनकी जीवनी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारत के महान वैज्ञानिक और उनकी जीवनी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, india, Knowledge, science, scientist
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उनकी काला-अजार की बीमारी ठीक नहीं हुई। मेडिकल पढ़ाई के दौरान चीर-फाड़ के कमरे की तेज गंध से उनकी बीमारी बढ़ने का डर था। इसलिए जगदीश चंद्र को डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बाद में उन्होंनें कम्ब्रिज विश्वविद्यालय के क्रॉइस्ट चर्च कॉलेज में प्राकृतिक विज्ञान सीखने के लिए दाखिला लिया। यहां उनके शिक्षक विख्यात वैज्ञानिक लॉर्ड रैले थे। जगदीश चंद्र की अपने शिक्षक के साथ गहरी मित्रता हो गई। 1885 में भारत लौटने के बाद उनकी प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई। परंतु यहां उनके साथ खुलेआम भेदभाव हुआ। उस समय समान कार्य के लिए भारतीयों को अंग्रेजों की तुलना में केवल दो-तिहाई ही तनख्वाह मिलती थी। जगदीश चंद्र ने इस शोषण का एक अनूठे तरीके से विरोध किया। उन्होंनें तीन साल बिना तनख्वाह लिए तन-मन से काम किया। उनके पिता पहले से ही कर्ज में डूबे थे। 1887 में जगदीश चंद्र का अबला बोस से विवाह हुआ। इससे उनकी आर्थिक जिम्मेदारियां और बढ़ीं। परंतु फिर भी बोस घोर कठिनाईयों का सामना करते हुए बिना तन्ख्वाह के काम करते रहे। अंत में कॉलेज प्रशासन नरम पड़ा और उन्हें पूरे काल की तनख्वाह दी गई। इस राशि से वो पिता का कर्ज चुका पाए। प्रेसीडेंसी कॉलेज में बोस की साख एक योग्य और लोकप्रिय शिक्षक के रूप में उभरी। भौतिकी से उन्हें बेहद लगाव था और उसका जादू वी छात्रों पर सरल प्रयोगों और मॉडलों से बुनते। बाद में उनके कई छात्र प्रख्यात वैज्ञानिक बने। उनमें जाने-माने भौतिकशास्त्री
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