प्राचीन और नवीन : मनरो लीफ हिंदी पुस्तक | Pracheen Aur Naveen : Munro Leaf Hindi Book

प्राचीन और नवीन : मनरो लीफ | Pracheen Aur Naveen : Munro Leaf

प्राचीन और नवीन : मनरो लीफ | Pracheen Aur Naveen : Munro Leaf

प्राचीन और नवीन : मनरो लीफ | Pracheen Aur Naveen : Munro Leaf के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : प्राचीन और नवीन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 700 KB है | पुस्तक में कुल 19 पृष्ठ हैं |नीचे प्राचीन और नवीन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्राचीन और नवीन पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, Knowledge

Name of the Book is : Pracheen Aur Naveen | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : | The size of this book is 700 KB | This Book has 19 Pages | The Download link of the book "Pracheen Aur Naveen" is given above, you can downlaod Pracheen Aur Naveen from the above link for free | Pracheen Aur Naveen is posted under following categories children, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 700 KB
कुल पृष्ठ : 19

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दूरदर्शन
दूसरे लोगों तक सूचना, जानकारी पहुंचाने के विज्ञान को हम संचार कहते हैं। इसमें टेलीफोन, रेडियो, केबिल, इंटरनेट, कम्पयूटर जैसे संचार के तमाम माध्यम शामिल हैं। आज दुनिया के किसी भी कोने में हो रही घटनाओं को हम तत्काल देख और सुन सकते हैं। हमने अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़े हैं और उनमें शक्तिशाली कैमरे फिट करे हैं। उनसे हमें पृथ्वी पर हो रही घटनाओं के सजीव चित्र प्राप्त होते हैं।
पालतू जानवरों पर सवारी करने से पहले कहीं पर भी आना-जाना, एक बेहद कठिन काम होता था। मान लो तुम्हें अपने सिर पर अपना खाना-पीना, बौरिया-बिस्तर लाद कर ले जाना पड़े तो यह बहुत परेशानी का काम होगा।
अगर प्राचीन का घर किसी नदी या समुद्र के किनारे पर होता तो भी उसे सामान लाने ले जाने में काफी मुश्किल होती क्योंकि उन दिनों नावें नहीं थीं । प्राचीन की मदद के लिए तब वैज्ञानिक न थे जो लकड़ी और धातु से नावें बना पाते और भाप से उन्हें चला पाते । आज हम बड़े-बड़े जहाजों में सामान लाद कर एक देश से दूसरे देश ले जा सकते हैं।
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शाचीन को कहीं आना-जाना होता तो वहां पहुंचने का उसके 7 पास केवल एक ही तरीका था -
पैदल चल कर जाना उस ज़माने में इधर-उधर आना-जाना आज से कहीं कठिन था। तब सड़कें और हाईवे नहीं थीं। यातायात के साधन भी नहीं थे। खराब मौसम में प्राचीन को मिट्टी, कीचड़ और बर्फ में चलना होता था।
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