ध्वनि सम्प्रदय और उसके सिद्धांत भाग 1 – Dhwani Sampradya Aur Uske Sidhant Part 1 के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : ध्वनि सम्प्रदय और उसके सिद्धांत भाग 1 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Bhola Shankar vyas | Dr. Bhola Shankar vyas की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Bhola Shankar vyas | इस पुस्तक का कुल साइज 63.6 MB है | पुस्तक में कुल 516 पृष्ठ हैं |नीचे ध्वनि सम्प्रदय और उसके सिद्धांत भाग 1 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ध्वनि सम्प्रदय और उसके सिद्धांत भाग 1 पुस्तक की श्रेणियां हैं : music
Name of the Book is : Dhwani Sampradya Aur Uske Sidhant Part 1 | This Book is written by Dr. Bhola Shankar vyas | To Read and Download More Books written by Dr. Bhola Shankar vyas in Hindi, Please Click : Dr. Bhola Shankar vyas | The size of this book is 63.6 MB | This Book has 516 Pages | The Download link of the book "Dhwani Sampradya Aur Uske Sidhant Part 1" is given above, you can downlaod Dhwani Sampradya Aur Uske Sidhant Part 1 from the above link for free | Dhwani Sampradya Aur Uske Sidhant Part 1 is posted under following categories music |
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ध्वनि संदाब और उसके सिद्धांत
देवताओं से उत्कृष्ट है।" उपदेश सर्वथा कटु एवं रूक्ष रूप में गृहीत होता है। पुराणों का उपदेश अहण करना होता है, जिस रूप में वह कहा गया है। वहाँ अमुक कार्य ही। पुराणादि में ऐसा सैनिक आदेश नहीं है, वहाँ अमुक कार्य करने से यह लाभ होगा, न करने से यह हानि होगी, इस बात को भी उपदेश के साथ ही बना दिया जाता है। यह उसी प्रकार का उपदेश है, जैसा कोई मित्र किसी कार्य के दोनों पक्षों को स्पष्ट करता हुआ देता है। काव्य का उपदेश इन दोनों उपदेश-प्रकारों से भिन्न है। इस उपदेश प्रवृत्त हो जाता है, इसी प्रकार काव्यमय उपदेश भी इस ढंग से दिया जाता है कि वह स्वतः ही गृहीत हो जाता है। बिहारी के प्रसिद्ध तभी तो जयसिह रुष्ट होने के स्थान पर विहारी से अत्यधिक प्रसन्न