आत्म चिंतन : केशरीमल जैन | Aatam Chintan : Keshrimal Jain

आत्म चिंतन : केशरीमल जैन | Aatam Chintan : Keshrimal Jain

आत्म चिंतन : केशरीमल जैन | Aatam Chintan : Keshrimal Jain के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आत्म चिंतन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Keshrimal Jain | Keshrimal Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.9MB है | पुस्तक में कुल 108 पृष्ठ हैं |नीचे आत्म चिंतन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आत्म चिंतन पुस्तक की श्रेणियां हैं : hindu

Name of the Book is : Aatam Chintan | This Book is written by Keshrimal Jain | To Read and Download More Books written by Keshrimal Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 2.9MB | This Book has 108 Pages | The Download link of the book "Aatam Chintan" is given above, you can downlaod Aatam Chintan from the above link for free | Aatam Chintan is posted under following categories hindu |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 2.9MB
कुल पृष्ठ : 108

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हर्ष है कि आज बीसवीं शताब्दी में भी भारत, अपने जरठातिर अध्यात्मिक अग्रह को नहीं छोड़ रहा है। जहां आज अखिल विश्व भौतिकता के मद्यपान से उन्मत्त हो रहा है, सभ्यता के नाम पर गगनाङ्गण से वायुयानों द्वारा सर्वथा अरक्षित स्बुले नगरों पर मृत्यु की वर्षा कर रहा है, निरीह खिों, पुरुओं तथा कोमल-कान्त-कलेवर बालकों को हजारों की सैया में एक साथ निदर्यता पूर्वक भून रहा है, वहां भारत में अब भी अपाहिमकता को शान्ति-निर्झर झर-झरझर*नि से प्रवाहित हो रहा है-कलिकलुषित हदयों के कलिमल को धो रहा है। यही कारण है कि वर्तमान भौतिक बुग में भी यहां समय समय पर याम-चच सम्बन्धी अने। छोटी-मोटी पुस्तके प्रकाशन के रंग मंच पर अवतरित होती रहती हैं। श्रीयुत केशरीमाजी की ऐसी ही एक नन्हीं-सी पुस्तिका धार्मिक संसार की सेवा में लेकर उपबित हुए हैं। पुस्तक का नाम भी यही रखा है, 'आत्मचिन्तन' अर्थात अल्मा का चिन्तन-अपना चिन्तन ।
उक्र गंभीर विषय पर लिखने के लिये जो अध्यामिकता जीवन में उतरी हुई होनी चाहिये, वह लेखक में नहीं मालूम होनी । लेखक प्रत्यक्ष में हमें मिला है, वह एक साधारण सुधार मनोवृत्ति का नवयुवक है। अपनी जैन समाज के प्रति उसके हृदय में सविशेष अदर है, वह ममात्र में कुछ क्रान्ति-कुछ उन्नति देखना चाहता है।

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