आरती और चालीसा संग्रह | Aarti & Chalisa Sangrah

आरती और चालीसा संग्रह | Aarti & Chalisa Sangrah

आरती और चालीसा संग्रह | Aarti & Chalisa Sangrah के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आरती और चालीसा संग्रह है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 38.4 MB है | पुस्तक में कुल 281 पृष्ठ हैं |नीचे आरती और चालीसा संग्रह का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आरती और चालीसा संग्रह पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

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पुस्तक का साइज : 38.4 MB
कुल पृष्ठ : 281

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जय जय जय गणपति गणराजू, मंगल भरण करण शुभ काजू।
जय गजबदन सदन सुखदाता, विश्वविनायक बुद्धि विधाता। वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन, तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन। राजत मणि मुक्तन उर माला, स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला। पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं, मोदक भोग सुगन्धित फूलें। | सुन्दर पीताम्बर तन साजित, चरण पादुका मुनि मन राजित।।
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता, गौरी ललन विश्व विख्याता।
| श्री गणेश चालीसा ऋद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे, मूषक वाहन सोहत द्वारे। कहाँ जन्म शुभ कथा तुम्हारी, अति शुचि पावन मंगलकारी। एक समय गिरिराज कुमारी, पुत्र हेतु तप कीन्हों भारी। भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा, तब पहुँच्यो तुम धरि द्विज रूपा। अतिथि जानि के गौरी सुखारी, बहु विधि सेवा करी तुम्हारी।।

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