अजहूं चेत गंवार | Ajahu Chet Ganwar के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : अजहूं चेत गंवार है | इस पुस्तक के लेखक हैं : osho | osho की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : osho | इस पुस्तक का कुल साइज 4.1 MB है | पुस्तक में कुल 629 पृष्ठ हैं |नीचे अजहूं चेत गंवार का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अजहूं चेत गंवार पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, Spirituality -Adhyatm
Name of the Book is : Ajahu Chet Ganwar | This Book is written by osho | To Read and Download More Books written by osho in Hindi, Please Click : osho | The size of this book is 4.1 MB | This Book has 629 Pages | The Download link of the book "Ajahu Chet Ganwar" is given above, you can downlaod Ajahu Chet Ganwar from the above link for free | Ajahu Chet Ganwar is posted under following categories inspirational, Spirituality -Adhyatm |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
आमुख तू एक था मेरे अशआर में हजार हुआ | इस एक चिराग से कितने चिराग जल उठे | संत सुंदरदास ने उजाले की इस यात्रा को ज्योति से ज्योति जले' कहा है।
इस पृथ्वी पर एक व्यक्ति का दीया जलता है, पूरी पृथ्वी उसकी ज्योति से प्रकाशि | त होने लगती है; एक व्यक्ति बुद्धत्व को उपलब्ध होता है, तो हजारों लोगों के जीवन में संबोधि की रसधार प्रवाहित होने लगती है। ओशो कहते हैं कि और फिर यह श्रृंखला रुकती नहीं। इसी श्रृंखला से वस्तुतः परंपरा पैदा होती है। सच्ची परंपरा इसी श्रृंखला का नाम है। एक झूठी परंपरा होती है जो जन्म से मिलती है। तुम हिंदू घर में पैदा हुए तो तुम मानते हो मैं हिंदू हूं। यह झूठी परंपरा है। एक परंपरा है ज्योति की जो शुद्ध अर्थों में, अप्रदूषित अर्थों में परंपरा है। ओशो उसी परंपरा की देशना दे रहे हैं। वे कहते हैं : 'एक जीवंत परंपरा होती है। एक दीये से दूसरा दीया जलता है-एक श्रृंखला पैदा होती है। जब तुम किसी सद् गुरु को खोज कर उसके पास पहुंचते हो और तुम्हारे भीतर समर्पण घटित होता है, तब तुम एक परंपरा के अंग बन जाते हो। यह वास्तविक धर्म का जन्म है।' तथागत बुद्ध का दीया जला, हजारों शिष्य उनके साथ प्रदीप्त हुए।