अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र | Anth Urga Jagran Satra

अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र | Anth Urga Jagran Satra

अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र | Anth Urga Jagran Satra के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.2 MB है | पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं |नीचे अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : Anth Urga Jagran Satra | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.2 MB | This Book has 33 Pages | The Download link of the book "Anth Urga Jagran Satra " is given above, you can downlaod Anth Urga Jagran Satra from the above link for free | Anth Urga Jagran Satra is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 1.2 MB
कुल पृष्ठ : 33

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भोजन:- यह सामान्य आहार नहीं है, दिव्य प्रसाद है। अन्न | शाक आदि लाने, तैयार करने, पकाने आदि के क्रम में यह दिव्य भावों, | तीर्थ चेतना के स्पंदनों से ऊर्जित (चार्ज) होता रहा है। इसके माध्यम से तीर्थ चेतना, गुरु सत्ता ने हमारे स्थूल कोशों को एवं मन को संस्कारित एवं पुष्ट करने के लिए दिव्य ऊर्जा-अनुदान भेजे हैं। ऐसा भाव करते हुए स्वयं उसे इष्ट के लिए नैवेद्य रूप में अर्पित करें। फिर शरीरस्थ जठराग्नि में इस हव्यान्न की आहुतियाँ समर्पित करने के भाव से प्रसाद सेवन करें। यह मानें कि इस आहार की मात्रा से अधिक इसकी गुणवत्ता है। अतः जितना हमारी साधना हेतु निर्धारण किया गया है, उतना ही हम ले रहे हैं।

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