आरोग्य शिक्षा हिंदी पुस्तक | Arogya Shiksha Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.01 MB है | पुस्तक में कुल 60 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : ayurveda, health, inspirational, Knowledge
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६ आरोग्पशिक्षा- धन्बतरिनी ने बहुत रोगों को कर्मरोग और असाष्य मानांदि । हकीम लुकमाननें भी बहुत वामारियेंको उा इडाज बतावादे । इस समय के भी बिज्ञ डाक्टर वेद हकीम समकसर वडी वीमारी को वरसों के इडाजें भाराम होनाकठिन जानतेहैं उीकन इरितिदारी दवा बेचनिवार्डों में बहुत से ऐसे उठे हैं कि जिनझें नजदीक वडे से वड़ी मयफर सुछठ प्रमह आदि जैती मददाव्पायि उनकी रुपये सया रुपये को दया से दो ही दिन । मुँठ होजावेगी और जो बीमारी नहीं जाने तो चौगुने अब्युने दाम उड्टे छत नेक छिखने की बहादुरी दिखाते हैं ऐसी दो वाततोति आज देश की यह दशा है? इसी प्रकार इप्त समय के चिकित्सक समूह में भी दीघ्र मत्र की भौति आराम ष देनेवाढी औषधि का विचार और प्रचार खूब बढरहा दे तथा रोगी भौर रोगी के परिचारक भी महीनों में यथाक्रम आराम होनेम ठी भयकर महा व्याधिकों उधी दम आयाम करदेनेवछि चिकित्सक और ओे।पव को परम मान्य समझ गये || फ्यों नहीं समय दी ऐसा है 1 जब छद म्दनि का मार्ग रे की कपा से १ 1 ही दिन में प्ूणी होता दे मददीनो में आनेवाठा समाचार तार के द्वारा चार घड़ी | झै आजाता है बरसेंका काम मशीन घटों में करडालता है सभी बातों में ज्दी | दी है फिर वीमारी के आराम में देर क्यों हो पर यह नहीं रुपाठ करते कि 0४ और चैतत य का एक धर्म नशे दे नहीं ती माज पैदाइुआ बचा किसी भी युक्ति हू मददीने में जयान नहीं होसकता । और कल्पना कथे कि कोई तज्ीज ऐसी तो उसका परिणाम कितना मयक होसकता है जव कि ९० पर्पफा महीने में हुआ तो आयु के उ्यादे से उ्यादे १०० वी तीनहीं थे भूरे होजा अर्थात इस दशामें ३ वर्ष से ज्यादे मनुष्यकी आयु नदी दोसकेंगी जैले जो सीघही वड़कर फल देतांदे चइ शीत्रद्मी नप्र होजाताहि । इसी प्रकार जो दस 8 काठ क्रम के बहुत शीघ्र प्रभाव करती दे उससे एकदम शर्रारके भातवादि में वतन होना प्रतीत्त होता है | ऐसी औषयें महातीकूण विष के अनुखूस होती ६ | जिनसे कदाचित् चद व्याधि दय भी जाय तीभी वह छीपय अपने विशयजुर्प से ध््प प्रभाग का कुछ अशाश दार्ारमें जवस्य ही छोड देती दे जिस से शॉप्र दी या का तर में किसी घोर उप की जारका रहती और होती है | बोर किवेदरर प्रभ | का उाभ मी प्राय पिशेष इद नहीं होता है 17