बच्चे कब क्या सीखते हैं | Bachche Kab Kya Seekhte Hain

बच्चे कब क्या सीखते हैं : ए अनन्त  | Bachche Kab Kya Seekhte Hain : A Anant

बच्चे कब क्या सीखते हैं : ए अनन्त | Bachche Kab Kya Seekhte Hain : A Anant के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : बच्चे कब क्या सीखते हैं है | इस पुस्तक के लेखक हैं : A Anant | A Anant की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 15.8 MB है | पुस्तक में कुल 139 पृष्ठ हैं |नीचे बच्चे कब क्या सीखते हैं का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बच्चे कब क्या सीखते हैं पुस्तक की श्रेणियां हैं : Uncategorized, christian, education, Knowledge

Name of the Book is : Bachche Kab Kya Seekhte Hain | This Book is written by A Anant | To Read and Download More Books written by A Anant in Hindi, Please Click : | The size of this book is 15.8 MB | This Book has 139 Pages | The Download link of the book "Bachche Kab Kya Seekhte Hain" is given above, you can downlaod Bachche Kab Kya Seekhte Hain from the above link for free | Bachche Kab Kya Seekhte Hain is posted under following categories Uncategorized, christian, education, Knowledge |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , , ,
पुस्तक का साइज : 15.8 MB
कुल पृष्ठ : 139

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

बच्चे कब क्या सीखते हैं। व्यक्तित्व की विशेषताएं वातावरण द्वारा अधिकतम प्रभावित होती हैं।
इस अध्ययन ने वंशानुसंक्रमण के अनुयायियों के विरोध में अत्यन्त सफ तथ्यों को उपस्थित किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि पर्यावरण की वंशानुसंक्रमण के पारस्परिक सम्बन्ध की समस्या जटिल है। एक वातावरण के माता-पिता के विभिन्न बच्चों का अध्ययन
। यद्यपि हम यह जानते हैं कि किन्हीं भी दो व्यक्तियों का वातावरण समान न होता तथापि हम अनाथालयों और शिशु-बालक संस्थाओं के वातावरण के समाप्रभाव का अध्ययन कर सकते हैं। कुमारी बक्स ने अपने अध्ययन के आधार प यह सिद्ध किया कि मनुष्य की बुद्धि के विकास में वंशानुसंक्रमण का 80% औ वातावरण का 20% प्रभाव रहता है। उनका कहना है कि अच्छे परिवार का वातावरण बच्चे के बुद्धिफल को 20 अंश तक बढ़ा सकता है। इस अध्ययन के अतिरिक्त दूसरा अध्ययन 150 अज्ञात माता-पिता के बच्चों का था। इनको 6 मास की आर से एक मकान में रखा गया। रक्त के द्वारा जिन 16 बच्चों के बारे में प्रवाह ज्ञात हुआ कि इनकी माताएं हीन-बुद्धि की होंगी, उनका प्रारम्भ में बुद्धिफल 75 था, पर दें वर्ष के बाद यह 116 हो गया और ढाई वर्ष बाद फिर 108 रह गया।
| इन अध्ययनों के द्वारा कुछ विशेषज्ञ वंशानुसंक्रमण का प्रभाव हमारी बुद्धि प अधिक बताते हैं और कुछ वातावरण का। बातावरण या वंशानुसंक्रमण के पारस्परिक सम्बन्ध में कुछ कहने के पूर्व वह आवश्यक है कि हम यह जान लें कि मनुष्य के बुद्धि को मापने वाली बुद्धि-परीक्षाएं वैज्ञानिक हैं या वैधानिक।
| बुद्धि-परीक्षा इतनी अधिक अव्यवस्थित एवं अनिश्चित है कि एक ही व्यक्ति के बुद्धिफल में 10 दिन में ही अन्तर आ जाता है। इसके अतिरिक्त ये बुद्धि-परीक्षाएं हमारी जन्मजात शक्तियों की परीक्षा नहीं कर पातीं। यह केवल उस ज्ञान पर आधारित है। जो कि हमें समाज से मिलता है। ये परीक्षाएं भाषा, गणित आदि विषयों पर आधारित होती हैं जिन्हें हम समाज द्वारा प्राप्त करते हैं। ये बुद्धि-परीक्षाएं बंशानुसंक्रमण और वातावरण के प्रभावों को एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकतीं। इसलिए ये अधिकसे-अधिक ज्ञान की प्राप्ति की परीक्षा ले सकती हैं, न कि जन्मजात बुद्धि की। लिंग-भेद का प्रभाव
साधारण रूप से यह विश्वास माना जाता है कि स्त्रियां स्वभावतः सहृदया होती हैं और भावुक होती हैं और पुरुष स्वभावतः कठोर और बुद्धिमान होते हैं। इन दोनों के स्वभाव में भेद लिंग के आधार पर होता है। स्त्रियों की मातृत्व-शक्ति उन्हें कोमल दयालु और बुद्धिहीन बना देती है जबकि पुरुषों की विशेषताएं इससे बिल्कुल विपरीत

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.