बहुतेरे है घाट | Bahutere Hain Ghat

बहुतेरे है घाट | Bahutere Hain Ghat

बहुतेरे है घाट | Bahutere Hain Ghat

बहुतेरे है घाट | Bahutere Hain Ghat के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : बहुतेरे है घाट है | इस पुस्तक के लेखक हैं : osho | osho की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 499 KB है | पुस्तक में कुल 73 पृष्ठ हैं |नीचे बहुतेरे है घाट का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बहुतेरे है घाट पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, Knowledge, Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : Bahutere Hain Ghat | This Book is written by osho | To Read and Download More Books written by osho in Hindi, Please Click : | The size of this book is 499 KB | This Book has 73 Pages | The Download link of the book "Bahutere Hain Ghat" is given above, you can downlaod Bahutere Hain Ghat from the above link for free | Bahutere Hain Ghat is posted under following categories inspirational, Knowledge, Spirituality -Adhyatm |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , ,
पुस्तक का साइज : 499 KB
कुल पृष्ठ : 73

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

आनंद दिव्या, मनुष्य का मन मनुष्य के भीतर भेद का सूत्र है। नहीं, अनेक है। मन के पार गए कि अनेक के पार गए। जैसे ही द्वैत गया, दुई गई, दुविधा गई। फिर जो शेष रह जाता है वह अभिव्यक्ति भी विचार में करनी होगी। विचार में आते ही फिर ख साम्राज्य है। मन के पार 'मैं' नहीं है, 'तू' नहीं है। मन के नहीं है। मन के पार अमृत है, भगवती है, सत्य है। और कैसे कोई उस अ-मनी दशा तक पहुंचता है, यह बात और क्योंकि जो जहां है वहीं से तो यात्रा शुरू करेगा। और इसलिए हः महावीर अपने ढंग से पहुंचेंगे, जीसस अपने ढंग से, जरथुस्त्र ॐ लेकिन यह ढंग, यह शैली, यह रास्ता तो छूट जाएगा मंजिल । मंजिल नहीं आ गई। सीढ़ियां वहीं तक हैं जब तक मंदिर का द्वार रास्ता भी मिट जाता है, राहगीर भी मिट जाता है।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *