ब्रज के धर्म – संप्रदायों का इतिहास | Braj Ke Dharm-sampradayon Ka Itihas

ब्रज के धर्म – संप्रदायों का इतिहास | Braj Ke Dharm-sampradayon Ka Itihas

ब्रज के धर्म – संप्रदायों का इतिहास | Braj Ke Dharm-sampradayon Ka Itihas के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : ब्रज के धर्म – संप्रदायों का इतिहास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Prabhudayal Meetal | Prabhudayal Meetal की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 42.47 MB है | पुस्तक में कुल 732 पृष्ठ हैं |नीचे ब्रज के धर्म – संप्रदायों का इतिहास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ब्रज के धर्म – संप्रदायों का इतिहास पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, history

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पुस्तक का साइज : 42.47 MB
कुल पृष्ठ : 732

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द्वितीय अध्याय का नाम 'प्राचीन काल' रखा गया है, जिसकी कालावधि विक्रमपूर्व सं. ५६६ से विक्रमपूर्व सं. ४३ तक की मानी गई है। इस अध्याय से ब्रज के. सांस्कृतिक इतिहास का ऐतिहासिक युग प्रारंभ होता है । इस युग के आरंभ में यादवों द्वारा प्रचारित सात्वत धर्म भारत के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी भागों में प्रचुरता से प्रचलित था; किंतु उनका ब्रजमंडल से संबंध विच्छेद हो जाने से यहाँ उसका प्रचार बहुत कम हो गया था । उस समय यहाँ वैदिक धर्म का जोर बढ़ गया था, जिससे यज्ञों के व्ययसाध्य विधान और उनमें की जाने वाली हिंसा में वृद्धि हो गई थी।

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