भागो नहीं दुनिया को बदलो | Bhago Nahin Duniya ko Badalo

भागो नहीं दुनिया को बदलो | Bhago Nahin Duniya ko Badalo

भागो नहीं दुनिया को बदलो | Bhago Nahin Duniya ko Badalo के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भागो नहीं दुनिया को बदलो है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rahul Sanskrityayan | Rahul Sanskrityayan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 24.04 MB है | पुस्तक में कुल 378 पृष्ठ हैं |नीचे भागो नहीं दुनिया को बदलो का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भागो नहीं दुनिया को बदलो पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Bhago Nahin Duniya ko Badalo | This Book is written by Rahul Sanskrityayan | To Read and Download More Books written by Rahul Sanskrityayan in Hindi, Please Click : | The size of this book is 24.04 MB | This Book has 378 Pages | The Download link of the book "Bhago Nahin Duniya ko Badalo" is given above, you can downlaod Bhago Nahin Duniya ko Badalo from the above link for free | Bhago Nahin Duniya ko Badalo is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 24.04 MB
कुल पृष्ठ : 378

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

तीन वरिस पहिले मैंने इस पोथीको लिखा था । तबसे अपने देसमें बात बड़ा फेर-फार हुआ है। उस बखत भी मैं देखता था कि लडाईके पीछे हिन्दुस्तानको गुलाम बनाकर रखा नहीं जा सकता सी बात अब अखिके सामने है। गुलामी गई मुदा गरीबी बाकी है। गरीबी दूर करके हिन्दुस्तानको एक बलवान देस बनना है । रूस और अमिरका के बाद तीसरी जगह अपने देसको लेनी है । मुदा. यह मैं इसे कहने से नहीं होगा। इसकी खातिर समूचे देसमें पंचेती खेती, नये दंगकी खेती और कल-कारखाने छ। जाना चाहिए और जल्दीसे जल्दी । कुल पच्चीस बरिस हमारे पास है । इसी बीन हमें यह कुल मंजिल मारना है। यह तभी हो सकता है कि मब जगह सेठी के लाभ-सुभ'को हटाकर देसकी भलाई का सामने रखा जाय । सेठ और सेठके पायक लोग लम्बी-लम्बी बात करके भरमाना चाहते हैं और देसकी भलाई का बहाना करके ! हमें बात नहीं, काम देखना है। काम में देख रहे हैं कि लबाई के बखत भी सेठ लोगाने दोनों हाथोसे नफा बटोर ।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.