भय भी शक्ति देता हे | Bhai Bhi Shakti Deta He

भय भी शक्ति देता हे : लीलाधर जगूड़ी | Bhai Bhi Shakti Deta He : Liladhar Jagudi

भय भी शक्ति देता हे : लीलाधर जगूड़ी | Bhai Bhi Shakti Deta He : Liladhar Jagudi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : भय भी शक्ति देता हे है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Liladhar Jagudi | Liladhar Jagudi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.3 MB है | पुस्तक में कुल 148 पृष्ठ हैं |नीचे भय भी शक्ति देता हे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भय भी शक्ति देता हे पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry, Uncategorized

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पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 7.3 MB
कुल पृष्ठ : 148

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अच्छी कविता मैं तुम तक नहीं पहुँच सकता परसों तो मैं इतना ठीक-ठाक था । कि किसी के बारे में भी चिंतित नहीं था कल मैं सोच सकता था तुम्हारे बारे में मुझे याद है दोपहर तक मेरी जीभ पर स्वाद था। यहाँ तक कि एकदम निखित और मुँहज़ोर चीज़ों का मनमान्ना म्याद अच्छी चिता में तुम तक नहीं पहुँच सकता
आज मैं आया । थका-माँदा एक किलो आलू का भाव दस पैसा घटाने में पूरी झिकझिक के बाद भी नाकामयाब हर बार चार आना और महँगा आलू दुनिया की आधी आजादी की तर, खरीदे
तब तक सुनाई दिया कि चार लोग आए थे
और सुई तक नहीं छोड़ गए वग़ल के घर में बगल का घर सुनकर मैंने राहत की साँरा ली अच्छी कविता मैं तुम तक नहीं पहुँच सकता
अच्छी कविता मैं जब-तब बीमार पड़ जाता हैं। आत्मदत से काम लेना चाहता हूँ पर तब तक आ जाती हैं चिट्ठियाँ कि घर में कलह बढ़ गया है। पिता जी चाहते हैं पाँच सौ का मनीआर्डर गरम कुर्ते-पजामें का कपड़ा ठंढ़ बढ़ गई है और उन्हें टिहरी जाना पड़ता है।

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