धम्मपद | Dhammpad

धम्मपद | Dhammpad

धम्मपद | Dhammpad के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : धम्मपद है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Swami Dwarikadas Shastri | Swami Dwarikadas Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 23.7 MB है | पुस्तक में कुल 151 पृष्ठ हैं |नीचे धम्मपद का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | धम्मपद पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Dhammpad | This Book is written by Swami Dwarikadas Shastri | To Read and Download More Books written by Swami Dwarikadas Shastri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 23.7 MB | This Book has 151 Pages | The Download link of the book "Dhammpad" is given above, you can downlaod Dhammpad from the above link for free | Dhammpad is posted under following categories dharm |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 23.7 MB
कुल पृष्ठ : 151

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यहाँ कुछ तथाकथित विद्वानों की मान्यता है कि भगवान् ने धम्मपद की सभी गाथाओं का उपदेश प्रथमतः गय के मूल रूप में ही दिया था, परन्तु कण्ठस्थकारी भिक्षुओं ने अपनी स्मृति की सुविधा के लिये उस गक्ष्य को पदय रूप देकर उसे पदय (गाथा) रूप में ही
कण्ठस्थ कर लिया ! कैसी अविवेकपूर्ण बात है! क्या यही स्मृति की सुविधा वाली बात भगवान बुद्ध जिज्ञासुओं के लिये उपयुक्त नहीं समझते थे। फिर समग्र त्रिपिटक प्रमाण है कि आनन्द जैसे श्रद्धालु भिक्षुओं ने भगवान् के मत के विरुद्ध एक भी अक्षर था शब्द कहने का साहस नहीं किया |

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