मधुलिका : सुरेन्द्र नाथ नूतन | Madhulika : Surendra Nath Nutan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मधुलिका है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Surendra Nath Nootan | Surendra Nath Nootan की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Surendra Nath Nootan | इस पुस्तक का कुल साइज 6.2 MB है | पुस्तक में कुल 69 पृष्ठ हैं |नीचे मधुलिका का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मधुलिका पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry, Uncategorized
Name of the Book is : Madhulika | This Book is written by Surendra Nath Nootan | To Read and Download More Books written by Surendra Nath Nootan in Hindi, Please Click : Surendra Nath Nootan | The size of this book is 6.2 MB | This Book has 69 Pages | The Download link of the book "Madhulika" is given above, you can downlaod Madhulika from the above link for free | Madhulika is posted under following categories Poetry, Uncategorized |
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प्रस्तावना मधूलिका, श्री सुरेन्द्र नाथ 'नूतन' की छोटी-बड़ी कुल चालीस कविताओं का संग्रह है। इन रचनाओं की मूल प्रेरणा जीवन के प्रति ऐसी अकम्पित आस्था है जो परिस्थितियों की विविध प्रतिकूलताओं के प्रभंजन में भी कभी मलिन ज्योति नहीं होती। जीवन के प्रति ऐसी अटूट आस्था और ऐसा दृढ़ विश्वास संघर्षमय जीवन की कटु वास्तविकता से जूझ कर निकलती है और कवि को खिलाड़ी की वह जीवन दृष्टि प्रदान करती है जो हार और जीत को समान रूप से ग्रहण करती है। खिलाड़ी मानसिकता की वही तटस्थता कविता में पूजागीत, अभ्युदय, निर्माण की बेला, ममता, अगली पीढ़ी, श्रमदेवी, कपोत-कपोती तथा विविध गीतों के रूप में प्रतिफलित हुई है।
'नूतन' की आरम्भिक शिक्षा उर्दू भाषा के माध्यम से हुई । कालान्तर में उन्होंने अपने उस्ताद मौलवी साहब से मीर, ग़ालिब, सैदा जैसे कवियों की रचनाओं का अध्ययन किया और स्वाध्याय से जोश मलीहाबादी, जिगर मुरादाबादी, फ़िराक़ गोरखपुरी, मज़ाज़ लखनवी, फैज अहमद फैज, साहिर लुधियानवी और कतील सफाई की रचनाओं का आस्वादन किया । इलाहाबाद के अपने विद्यार्थी जीवन में उन्हें फिराक़ गोरखपुरी के सम्पर्क में भी आने का अवसर मिला जिससे उन्हें जीवन की विषम एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी समाज के प्रति स्वस्थ एवं प्रगतिशील जीवन दृष्टि बनाये रखने की प्रेरणा मिलती रही । निराशाजनक स्थितियों में भी आशा की ज्योतिकिरण की एक झलक पा लेना व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए शुभलक्षण माना जाता है जो इस संग्रह के समस्त गीतों में विविध रूपों में मुखरित हुआ है। हिन्दी-कवियों में नूतन के सबसे प्रिय कवि जयशंकर प्रसाद रहे हैं । मधुलिका के कथ्य और शिल्प में हिन्दी की अपनी विशिष्टता के अतिरिक्त कहीं-कहीं पर उर्द का सहज प्रभाव परि