द्विवेदी युग का हिंदी काव्य हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Dwivedi Yug Ka Hindi Kavya Hindi Book Free PDF Download

द्विवेदी युग का हिंदी काव्य हिंदी पुस्तक | Dwivedi Yug Ka Hindi Kavya Hindi Book

द्विवेदी युग का हिंदी काव्य हिंदी पुस्तक | Dwivedi Yug Ka Hindi Kavya Hindi Book

द्विवेदी युग का हिंदी काव्य हिंदी पुस्तक | Dwivedi Yug Ka Hindi Kavya Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 18.5 MB है | पुस्तक में कुल 406 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : education, history, Poetry

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पुस्तक का साइज : 18.5 MB
कुल पृष्ठ : 406

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भूमिका इस न विक्रम विवविद्यालय में अपने नवीन पदभार के ग्रहण करने के पुरे मैं गत भठारह वर्षों से भधिक समय लेक सागर विश्वविद्यालय हिन्दी-विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता रहा 1 वहां पिछले बारह-चौदड् वर्षों थे पी-एच० डी० का छलोधनकार्य लियसित रूप से खनन रहा था आओीय मेरे स्थानाव्तरण के पूर्वे प्राय पांच दर्जन शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके थे गौर शोबनछात्रों को उपाधियां प्राप्त हो चुकी थी 1 झारम्भ में कतिपय विशिष्ट कवियों झौर साहित्य-पुरस्कर्ताओं पर शोध-प्रबस्ध प्रस्तुत करने का क्रम चला था । इस विषय में एक प्रमुख कठिनाई प्रामाणिक जीवनी के अभाव की उपस्थित हुई । स्वतन्त्र जीवनी-लेखन का कार्य अब तक हिन्दी में गम्भीरतापुवक नहीं अपनाया गया जिसका सुख्य कारण सपजीव्य सामग्री की विरलता हो कहा जायगा । यद्यपि हमारा शोधनका्य कबि-कतुत्व पर ही केन्द्रित रहकर सम्पन्न हो सकता था परन्तु प्रामाणिक जीवनियो के अभाव में वह यधेप्ट फलप्रद नहीं हो सकता था । अतणएबर हमे गाशिक रूप से अपनी दोध-दिंशा बदलनी पड़ी । कुछ प्रबन्ध युगीन भूमिकाओं पर भी लिखे गये है जिनमें युग विशेष के साहित्य-सुष्टाओं की क्तियों का विवेचन किया गया है और उनके साइित्यिक और कलात्मक प्रदेय प्रकाश में छाये गये हैं । यद्यपि यह काम हिन्दी के ारस्मिक साहित्यिक भाकलन के लिए भावइयक कोर उपयोगी रहा है पर इतने से ही संतोष करना हमारे लिए उचित भौर सम्भव न था । तब हमने आधुनिक युग के विविध सादिस्यिक मांदोलनी और उनसे निःसुत कला शेलियों में से प्रत्येक को इकाई मानकर शोध-कार्य का तृतीय अध्याय आरम्भ किया । इस संदर्भ में स्वच्छंदतावादी साइित्यिक आंदोलन से संबंधित साहित्यिक विकास पर प्रायः आधे दर्जन शोध-विषय दिये गये जिनमें से अधिकांश का कार्य सम्पन्न हो गया है और कुछ का शेष है । स्वच्छंदताबादी काव्य कंथा-साहित्य नाट्स-कृतियां श्रमीक्षा तथा स्वच्छदतावाद के संद्धांधिक भाधारों पर हमारे विभाग द्वारा अनेक शोध-प्रबध प्रस्तुत किये गये हैं ओर अब भी उसके कुछ पक्षों पर कार्य किया जा रहा है । विशुद्ध बेचारिक सिद्धांत भौरा कलाशास्वीय तथ्यों के अनुज्ञीलन के लिये भी हमारी शोध-योजना में स्थान रहा है ओर कुछ विशिष्ट दोधनकर्ता इस कायें में संछग्व हैं । भारतीय साहित्य-शास्त्र और कला-विवेचन के सिंद्धांतों पर वस्त्र रूप से अछग-गलग शोचकतियां प्रस्तुत करने की दिशा में भी हम अग्रसर हो रहे हैं क्योंकि हमें ज्ञात है कि भारतीय कला या साहित्यशास्त्र का अनुशीलन कब भी परम्परागत प्रणालियों से ही हो रहा है । इसमें नवीन वितन भौर आधुनिक वैज्ञानिक उद्मावनओों का सम्यक्‌ योग नहीं हो पाया है । हमारी पारिभाषिक शब्दावली भी इस क्षेत्र में अद्यतन नहीं है । प्राचीन साहित्य-चितन को नया स्वरूप भीरा नई शब्दावली देने की लावस्यकता है । इन सबके अतिरिक्त कतिपय सांप्रतिक साहित्यिक समस्याओों भौड प्रवर्तों पर भी संतुलित _विचररणा की झावदयकता है जिन पर भी पी-एच० डी० के शोध-कार्य लाभप्रद हो सकते हैं उनको ओर मी हमारी दृष्टि गई है और कूछ कार्य किया गया है

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