गलतियों का मनोविज्ञान भाग – 1 | Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1

गलतियों का मनोविज्ञान भाग – 1 | Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1

गलतियों का मनोविज्ञान भाग – 1 | Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : गलतियों का मनोविज्ञान भाग – 1 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Devendra Kumar | Devendra Kumar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 19.26 MB है | पुस्तक में कुल 450 पृष्ठ हैं |नीचे गलतियों का मनोविज्ञान भाग – 1 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गलतियों का मनोविज्ञान भाग – 1 पुस्तक की श्रेणियां हैं : science, manovigyan

Name of the Book is : Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1 | This Book is written by Devendra Kumar | To Read and Download More Books written by Devendra Kumar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 19.26 MB | This Book has 450 Pages | The Download link of the book "Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1" is given above, you can downlaod Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1 from the above link for free | Galatiyon Ka Manovigyan Vol – 1 is posted under following categories science, manovigyan |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 19.26 MB
कुल पृष्ठ : 450

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

आज किसी शिक्षित व्यक्ति को सिगमड फ्रायड का परिचय देने की आवश्यकता नहीं। उन्नीसवी-वीसवी शताब्दियो में मानव-चिन्तन को सबसे अधिक प्रभावित करने वालीचार विभूतिया है मार्क्स, टारविन, गाधी और फायड । इनमे से फायड ने मन और उसके अचेतन व्यापारो के जो रहस्य उद्घाटित किए, और अपनी खोजो के आधार पर हजारो स्नायु-रोगियो को स्वस्थ करके जो नई चिकित्साशैली स्थापित की, उसका चिकित्सा-जगत् के साथ-साथ मानवीय अध्ययन की अन्य शाखागो पर भी कातिकारी प्रभाव पड़ा है। हिन्दी आलोचना-साहित्य में भी फायड के साहित्य विषयक विचारो को लेकर बहुत काफी खडन-मडन हुया है। परन्तु अग्रेजी न जानने वाले पाठको के पास फायड के सिद्धान्तो का मूलरूप जानने का कोई उपाय नही था। कई आलोचक फ्रायड के तथाकथित सिद्धान्त साराश रूप में देकर अपना खडन या मडन का काम चला लेते थे। इसी कारण इस विपय में बहुत कुछ अज्ञान लेखन हुआ है।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.