जहाँगीर जस चन्द्रिका | Jahangeer Jas Chandrika

जहाँगीर जस चन्द्रिका : केशवदास | Jahangeer Jas Chandrika : Keshavdas

जहाँगीर जस चन्द्रिका : केशवदास | Jahangeer Jas Chandrika : Keshavdas के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जहाँगीर जस चन्द्रिका है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Keshavdas | Keshavdas की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.4 MB है | पुस्तक में कुल 16 पृष्ठ हैं |नीचे जहाँगीर जस चन्द्रिका का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जहाँगीर जस चन्द्रिका पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, history, india

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पुस्तक का साइज : 1.4 MB
कुल पृष्ठ : 16

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केशवदाग की इतर रचनाओं - ‘रतान-बावनी, 'वीरसिंहदेव-चरित, और जहाँगीरज-चन्द्रिका को हिन्दी के विद्वान् समीक्षकों ने रीतिकालीन बीर-काव्य के अन्तर्गत रखकर अपना विचार प्रकट किया जबकि ये तीनों ही ग्रन्थ वीर-रस-प्रधान होते हुए भी काव्येतिहास की श्रेणी में आते हैं।
हिन्दी-भाषा के किसी विद्वान् ने केशव-कृत इन काव्येतिहास-ग्रन्थों का पुन:सम्पादन या टीका प्रस्तुत करने का भार नहीं उठाया। हाँ इस क्रम में डॉ. किशोरी लाल (नैनी-इलाहाबाद) का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए जिन्होंने इस गुरुतर भार को सहर्ष स्वीकार किया और उन्होंने क्रमशः 'जहाँगीरजस-चन्द्रिका, ‘विज्ञान गीता, और 'वीरसिंहदेव-चरित का पुनःसम्पादन और विस्तृत टीका प्रस्तुत की। ये तीनों ग्रन्थ प्रकाशित हैं।
हन्दी-भाषा और साहित्य के प्रति विदेशी विद्वानों का प्रेम, त्याग और उनका योगयान अविस्मरणीय रहा है। हिन्दी के कई सुविख्यात ग्रन्थों की खोज, उनका पाठालोचन, सम्पादन और प्रकाशन गरी तिने ही विदेशी विद्वानों के हिन्दी-प्रेम का प्रतिफल है। हिन्दी-भाषा और साहित्य का अध्ययन-अध्यापन, मनन, चिन्तन, | हिन्दी-ग्रन्थों की सतत खोज, अज्ञात | हिन्दी-ग्रन्थों की सतत खोज, अज्ञात ग्रन्थों की पाण्डुलिपियों के पाठ का व्यवस्थापन, सम्पादन और प्रकाशन
आज भी भारत से बाहर के कई मुदर देशों में अबाध-रूप में प्रवर्तित है। विश्व के कई देशों के विश्वविद्यालयों में और वैयक्ति रुप से भी हिन्दी भाषा और उसके साहित्य पर कार्य किए एवं कराए जा रहे हैं। इन कार्यों में गचपि शोध-कार्यों की संख्या अधिक है किन्तु यदा-कदा मूल-ग्रन्थों का पाठालोचन, पाठ-व्यवस्थापन और समीक्षित पाण्डुलिपियों के साथ इस पाठ का प्रकाशन भी हुआ करता है। मूल-ग्रन्थों का अंग्रेजी या तत्तद्देशीय भाषाओं में अनुवाद की परिपाटी आज भी व्यवस्थित रूप से चली आ रही हैं जो कि हिन्दी-साहित्य के समकालीन वैश्विक महत्त्व को दर्शाती है।
| यहाँ हम मुदूर देश इटली में सद्यः प्रकाशित एक हिन्दी-ग्रन्थ-रत्र में अपने पाठकों को परिचित कराने को आतुर हैं। यह ग्रन्थ है महाकवि केशवदास-कृत 'जहाँगीर-जसचन्द्रिका जो कि महान् मुग़ल सम्राट् अकबर के पुत्र नूरुद्दीन मुहम्मद शहाँगीर की प्रशंसा में प्रणीत हुई थी। विशुद्ध ऐतिहासिक मूल्यों के अभाव में भी महाकवि केशव का यह ग्रन्थ काब्यीय मूल्यों के समानान्तर ऐतिहासिक दृष्टि से भी परखा जाता रहा है और यही कारण है। कि विशुद्ध 'कान्येतिहाग न होने के बावजूद भी हमने इसे 'सचेतिहास की श्रेणी में रखने की पैरवी की है।
अधुना-पर्यन्त उपलब्ध 'जहाँगीरजसचन्द्रिका की प्रायः सभी प्रकाशित प्रतियों एवं अप्रकाशित (मुलभ) पालिपियों के आधार पर मूल पाठ का आलोचन, शालोचित पाठ के आधार पर मूल पाठ का व्यवस्थापन और वैज्ञानिक पद्धति पर पाठान्तर का प्रस्तुतीकरण करते हुए इसके सम्पादन तथा

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