खुले अलाव पकाई घाटी | Khule Alaav Pakai Ghati

खुले अलाव पकाई घाटी | Khule Alaav Pakai Ghati

खुले अलाव पकाई घाटी | Khule Alaav Pakai Ghati

खुले अलाव पकाई घाटी | Khule Alaav Pakai Ghati के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : खुले अलाव पकाई घाटी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Harish Bhadani | Harish Bhadani की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 400 KB है | पुस्तक में कुल 94 पृष्ठ हैं |नीचे खुले अलाव पकाई घाटी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | खुले अलाव पकाई घाटी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry

Name of the Book is : Khule Alaav Pakai Ghati | This Book is written by Harish Bhadani | To Read and Download More Books written by Harish Bhadani in Hindi, Please Click : | The size of this book is 400 KB | This Book has 94 Pages | The Download link of the book "Khule Alaav Pakai Ghati " is given above, you can downlaod Khule Alaav Pakai Ghati from the above link for free | Khule Alaav Pakai Ghati is posted under following categories Poetry |

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पुस्तक का साइज : 400 KB
कुल पृष्ठ : 94

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हद कोई जव माने नही अहम अव तरेरे बरसे पिना फ्हम तव वासुरी बजे बध जाय हथेली ले पहाड का छाता जय-जय गोरधन हठ का ईशर जब चाहे पूजा एक देवता और नहीं दुजा तव सौ हाथ उठे। सड़को पर रख दे मदिर का सिंहासन जय-जय गोरधन सेवक राजा रोज रगे चोने भाव-ताव कर राज धरम तोले तब सौ हाथ उठे उठ थरपे गणपत गणपत वोले गोरधन जय-जय गोरधन ।

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