कुन्दकुंदाचर्या के तीन रत्न | Kundkundacharya Ke Teen Ratan

कुन्दकुंदाचर्या के तीन रत्न | Kundkundacharya Ke Teen Ratan

कुन्दकुंदाचर्या के तीन रत्न | Kundkundacharya Ke Teen Ratan के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कुन्दकुंदाचर्या के तीन रत्न है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Gopaldas Jivabhai Patel | Gopaldas Jivabhai Patel की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.5 MB है | पुस्तक में कुल 158 पृष्ठ हैं |नीचे कुन्दकुंदाचर्या के तीन रत्न का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कुन्दकुंदाचर्या के तीन रत्न पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Kundkundacharya Ke Teen Ratan | This Book is written by Gopaldas Jivabhai Patel | To Read and Download More Books written by Gopaldas Jivabhai Patel in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3.5 MB | This Book has 158 Pages | The Download link of the book "Kundkundacharya Ke Teen Ratan" is given above, you can downlaod Kundkundacharya Ke Teen Ratan from the above link for free | Kundkundacharya Ke Teen Ratan is posted under following categories dharm |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 3.5 MB
कुल पृष्ठ : 158

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

जब कोई पूछता है कि, जैन धर्म किस ग्रन्थको मानता है ? तो हमारे पास कोई प्रस्तुत उत्तर नहीं होता, जैन धर्म की प्रधान विशपना यह है कि यह धर्म अत्यन्त प्राचीन होनेपर भी वेद, बाइबिल या कुरान जैसी किसी पुस्तक-विशेपको अपनी उत्पत्ति या समग्रताका आधार नहीं मानता, सांसारिक और आध्यात्मिक जीवनक अनुभवसे विकसित होने वाला जैनधर्म तर्क को झेलता है और उसका समाधान करता है, अनेक आचार्य द्वारा लिखित अनेक ग्रन्थ में हमें जीवन के गोचर और अगोचर तत्त्व को समझाने और प्रतिपादन करने की सतत चेष्टा दिखाई पड़ती है, इस प्रकार के तमाम ग्रन्थ अपना अपना अलग महत्व रखते हैं।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.