मारणपात्र : अरुण कुमार शर्मा | Maaranpatra : Arun Kumar Sharma के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मारणपात्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arun kumar sharma | Arun kumar sharma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arun kumar sharma | इस पुस्तक का कुल साइज 24.5 MB है | पुस्तक में कुल 549 पृष्ठ हैं |नीचे मारणपात्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मारणपात्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : health, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Maaranpatra | This Book is written by Arun kumar sharma | To Read and Download More Books written by Arun kumar sharma in Hindi, Please Click : Arun kumar sharma | The size of this book is 24.5 MB | This Book has 549 Pages | The Download link of the book "Maaranpatra" is given above, you can downlaod Maaranpatra from the above link for free | Maaranpatra is posted under following categories health, Stories, Novels & Plays |
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भारतीय संस्कृति और साधना के आधारभूत जितने भी वाङ्मय है, उनमें योग और तन्त्र को स्थान सर्वोच्च है । उनका महत्त्व इसमें निहित है कि ये दोनों परम शास्त्र लौकिक तथा पारलौकिक सुखों के प्रदाता तो है ही, इसके अतिरिक्त परम मुक्ति के साधन भी हैं, इसमें सन्देह नहीं ।
| पं० अरुणकुमार शर्मा यौग और तन्त्र के लयप्रतिछित अनुभवी विद्वान् और प्रख्यात लेखक हैं। पिछले चार दशक से भी अधिक समय से आपकी लेखनी अनवरत गतिशील हैं। अब तक आपकी सैकड़ों रचनाएँ देश-विदेश को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं ।
पिछले कई वर्षों से आपकी योगतन्त्रपरक महत्त्वपूर्ण रघनाएँ 'आज' में भी प्रकाशित हो रही हैं। अब तक की उन प्रकाशित रचनाओं में 'माण-पत्र भी एक रहा है, जो यौगतान्त्रिक साधना-साहित्य का प्रतिनिधित्व करनेवाला अपनेआपमें अद्भुत ग्रन्थ हैं । जब ‘मारण-पात्र’ ‘आज' में धाराबाहिक रूप से प्रकाशित हो रहा था उस समय सभी वर्ग के पाठकों के हजारों की संख्या में पत्र मेरे पास आये, जिनमें प्रायः बिशेषकर 'मारण-पात्र' की पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का ही अनुरोध और आग्रह होता था। मुझे इस बात की भारी प्रसन्नता हैं कि विश्वविद्यालय प्रकाशन ने उनके अनुरोध और आग्रह को साकार कर निश्चय ही योग-ज्ञान्त्रिक साधनासाहित्य के एक अभाव की पूर्ति की हैं। विश्वविद्यालय प्रकाशन का यह प्रयास निश्चय ही मजूत्त्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है।
-शार्दूलविक्रम गुप्त
सम्पादक, 'आज' वाराणसी
not able 2 download maran patra.
uR work is brilliant.
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शीघ्र ही लिंक अपडेट कर दिया जाएगा |
Only part 1 is downloaded. Please upload second part also
WE will uplaod Next part really very soon
Marvelous book. Humble request: Please upload part 2
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