आखिर जो बचा | Aakhir Jo Bacha

आखिर जो बचा | Aakhir Jo Bacha

आखिर जो बचा | Aakhir Jo Bacha के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आखिर जो बचा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Buchchibabu | Buchchibabu की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 10.7 MB है | पुस्तक में कुल 250 पृष्ठ हैं |नीचे आखिर जो बचा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आखिर जो बचा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays, education

Name of the Book is : Aakhir Jo Bacha | This Book is written by Buchchibabu | To Read and Download More Books written by Buchchibabu in Hindi, Please Click : | The size of this book is 10.7 MB | This Book has 250 Pages | The Download link of the book "Aakhir Jo Bacha" is given above, you can downlaod Aakhir Jo Bacha from the above link for free | Aakhir Jo Bacha is posted under following categories Stories, Novels & Plays, education |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 10.7 MB
कुल पृष्ठ : 250

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

पश्चिम में लाल सूरज जम्हाई लेकर दूसरी दुनियां में मूछित हो गया तो उस वातावरण में बचे थे केवल काले बादल जो दिन के साथ लगाव रखते हुए रात्रि को टटोल रहे थे । तारे डरते हुए से चमक रहे थे। पूछ हिलाते अजगर सी घूमकर वह छोटी नदी कहीं दूर जा छिपी थी। नदी के किनारे झाड़ियों के बीच बैठा दयानिधि आकाश की ओर देखकर मन ही मन हंसने लगा । हवा की एक हल्की सी लहर ने उसके तन को छु कर एक विचित्र सो अनुभूति दी । प्यास के साथ तन विकसित होता है, तो हवा शरीर में उमंग और उत्साह भर कर रक्त को स्पंदित करती है और उसे नये नये मार्गों की ओर ले जाती है और अंग अंग में तंद्रा सी छा जाती है, आंखें केवल देखना छोड़ कर गहराईयों का दर्शन करती हैं।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.