आखिरी पड़ाव का दुख | Akhiri Padav Ka Dukh

आखिरी पड़ाव का दुख | Akhiri Padav Ka Dukh

आखिरी पड़ाव का दुख | Akhiri Padav Ka Dukh के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आखिरी पड़ाव का दुख है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shubhash Neerav | Shubhash Neerav की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 844.5 KB है | पुस्तक में कुल 122 पृष्ठ हैं |नीचे आखिरी पड़ाव का दुख का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आखिरी पड़ाव का दुख पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays, education

Name of the Book is : Akhiri Padav Ka Dukh | This Book is written by Shubhash Neerav | To Read and Download More Books written by Shubhash Neerav in Hindi, Please Click : | The size of this book is 844.5 KB | This Book has 122 Pages | The Download link of the book "Akhiri Padav Ka Dukh" is given above, you can downlaod Akhiri Padav Ka Dukh from the above link for free | Akhiri Padav Ka Dukh is posted under following categories Stories, Novels & Plays, education |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 844.5 KB
कुल पृष्ठ : 122

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पापा को कहीं बाहर जाना था। कल रात दुकान से लौटकर पापा ने बस इतना ही कहा कि वह सुबह सात बजे वाली ट्रेन पकड़ेंगे और परसों लौटेंगे, कुछ लोगों के साथ। यह सब बोलते समय पापा का स्वर कितना ठंडा था। ऐसा लगा, जैसे कुछ छिपा रहे हों। सुबह वह पापा से पहले उठ गई। पापा को जगाया और खुद काम में लग गई। पापा अमूमन छह-साढ़े छह बजे तक उठ जाया करते हैं। जब तक वह नहा-धोकर तैयार होते हैं, वह सारा कामकाज निपटा चुकी होती है। पापा आठ बजे तक निकल जाया करते हैं- दुकान के लिए। नौ बजे तक वह भी कालेज के लिए निकल पड़ती है। पिंकी का स्कूल उसके रास्ते में पड़ता है, इसलिए रोज उसे अपने साथ लाती-ले जाती है वह।। आज छुट्टी का दिन है। छुट्टी के दिन वह खुद को बहुत अकेला महसूस करती है। अकेलेपन का अहसास न हो, इसलिए वह खुद को घर के हर छोटे-मोटे काम में जानबूझकर उलझाये रखती है।

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