महापुराण भाग – १ | Mahapuran Vol – 1 के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : महापुराण भाग – १ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Devendra Kumar Jain | Dr. Devendra Kumar Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Devendra Kumar Jain | इस पुस्तक का कुल साइज 21 MB है | पुस्तक में कुल 554 पृष्ठ हैं |नीचे महापुराण भाग – १ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | महापुराण भाग – १ पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Mahapuran Vol – 1 | This Book is written by Dr. Devendra Kumar Jain | To Read and Download More Books written by Dr. Devendra Kumar Jain in Hindi, Please Click : Dr. Devendra Kumar Jain | The size of this book is 21 MB | This Book has 554 Pages | The Download link of the book "Mahapuran Vol – 1" is given above, you can downlaod Mahapuran Vol – 1 from the above link for free | Mahapuran Vol – 1 is posted under following categories dharm |
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महाकवि पुष्पदन्त भारतके उन इने-गिने कवियोमें से एक हैं जिन्होंने अपने सृजनमें मानवी मूल्योकी गरिमाको धूमिल नहीं होने दिया वाणी, जिनके हृदयका दर्पण है। उनकी कुल तीन रचनाएँ उपलब्ध है। उनमें से 'जसहरचरित' का सम्पादन १९३१ में डॉक्टर पी. एल वैद्यने किया था। दूसरी रचना ‘णायकुमार चरित' का सम्पादन १९३३ में स्वर्गीय डॉक्टर हीरालाल जैनने किया । ये दोनो रचनाएँ, दुबारा सम्पादित होकर हिन्दी अनुवाद सहित, हाल हीमें प्रकाशित हुई है, इनके पुनः सम्पादनका श्रेय स्वर्गीय डॉक्टर हीरालाल जैनको है। ये भारतीय ज्ञानपीठसे प्रकाशित है। महापुराण महाकविका मूल और मुख्य काव्य है जिसे हम अपनंश साहित्यका बाकर ग्रन्थ कह सकते है।