मानवता की धुरी | Manavta Ki Dhuri के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मानवता की धुरी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Neeraj Jain | Neeraj Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Neeraj Jain | इस पुस्तक का कुल साइज 6 MB है | पुस्तक में कुल 198 पृष्ठ हैं |नीचे मानवता की धुरी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मानवता की धुरी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Social
Name of the Book is : Manavta Ki Dhuri | This Book is written by Neeraj Jain | To Read and Download More Books written by Neeraj Jain in Hindi, Please Click : Neeraj Jain | The size of this book is 6 MB | This Book has 198 Pages | The Download link of the book "Manavta Ki Dhuri" is given above, you can downlaod Manavta Ki Dhuri from the above link for free | Manavta Ki Dhuri is posted under following categories Social |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
यह पुस्तक लेखक की अन्य कृतियों से काफी अलग-थलग है। संभवतः विष्णु प्रभाकरजी का यह वाक्य इस कृति की धुरी है गरीबी की गरिमा, सादगी का सौन्दर्य, संघर्ष को हर्ष, समला का स्वाद और आस्था का आनन्द, ये सब हमारे आचरण से पतझर के पत्तों की तरह मर गये है।लेखक ने कोशिश की है कि मनुष्य के जीवन का यह पतझर खत्म हो और वसत-का-वैभव पुनः प्रकट हो उसका मानना है कि यह सब नैतिकता और चिन्तन से ही संभव है।