मंगलाचरण हिंदी-संस्कृत | Manglacharana Hindi-Sanskrit के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मंगलाचरण हिंदी-संस्कृत है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 258 KB है | पुस्तक में कुल 16 पृष्ठ हैं |नीचे मंगलाचरण हिंदी-संस्कृत का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मंगलाचरण हिंदी-संस्कृत पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, Knowledge
Name of the Book is : Manglacharana Hindi-Sanskrit | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 258 KB | This Book has 16 Pages | The Download link of the book "Manglacharana Hindi-Sanskrit" is given above, you can downlaod Manglacharana Hindi-Sanskrit from the above link for free | Manglacharana Hindi-Sanskrit is posted under following categories dharm, Knowledge |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
इस श्लोकमें धनकी अधिष्ठात्री लक्ष्मी तथा विद्याकी अधिष्ठात्री सरस्वती और कर्मक्षेत्रके अधिष्ठाता ब्रह्माकी स्तुति की गयी है। इस मन्त्रका आशय है कि मेरे कर (हाथ)-के अग्रभागमें भगवती लक्ष्मीका निवास है, कर (हाथ)-के मध्यभागमें सरस्वती तथा कर (हाथ) के मूलभागमें ब्रह्मा निवास करते हैं।' प्रभातकालमें मैं अपनी हथेलियों में इनका दर्शन करता हूँ। इससे धन तथा विद्याकी प्राप्तिके साथ-साथ कर्तव्यकर्म करनेकी प्रेरणा प्राप्त होती है। भगवान् वेदव्यासने करोपलब्धिको मानवका परम लाभ माना है।