न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी | Newton Ki Sankshipt Jivani

न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी : नंदिता दास | Newton Ki Sankshipt Jivani (Biography of Newton) : Nandita das

न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी : नंदिता दास | Newton Ki Sankshipt Jivani (Biography of Newton) : Nandita das के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Nandita Das | Nandita Das की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.4 MB है | पुस्तक में कुल 24 पृष्ठ हैं |नीचे न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | न्यूटन की संक्षिप्त जीवनी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography

Name of the Book is : Newton Ki Sankshipt Jivani | This Book is written by Nandita Das | To Read and Download More Books written by Nandita Das in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.4 MB | This Book has 24 Pages | The Download link of the book "Newton Ki Sankshipt Jivani" is given above, you can downlaod Newton Ki Sankshipt Jivani from the above link for free | Newton Ki Sankshipt Jivani is posted under following categories Biography |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 1.4 MB
कुल पृष्ठ : 24

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

न्यूटन के पिता उसके जन्म से पहले ही मर चुके थे। उस की मां ने दूसरा विवाह कर लिया और अपने पति धनवान बरनाबस स्मिथ, के साथ रहने चली गई। वह एक पादरी था। और आइसाक अपनी दादी की देख रेख में रहने लगा। जैसा कि दादी माएं अक्सर करती हैं, उसकी दादी भी उसको खूब लाड़-दुलार किया। लेकिन बचपन में मां-बाप का प्यार और देखरेख की कमी का असर उसकी सारी जिंदगी पर पड़ा।
बारह वर्ष की आयु में उसे पड़ोस के एक स्कूलग्रन्थम में भर्ती करा दिया गया। पढ़ाई में उसका मन बिल्कुल नहीं लगता था। और वह अपनी कक्षा में सबसे फिसडी था। वह अपने आप को दूसरों से बहुत हीन भी समझता था।
| पर एक दिन, उसने अपनी इस सोच पर काबू पा लिया। सभी स्कूलों की तरह, ग्रान्थम में भी, एक बच्चा सब पर दादा गिरी करता था। चुपचाप रहने वाला बालक आइसाक सताने के लिए उसका सही शिकार बना । वह हमेशा आइसाक को परेशान करता और उसकी खिल्ली उड़ाता । इतने पर भी संतुष्ट न था और

You might also like
6 Comments
  1. Vikash Kumar says

    Bahut achha hai

  2. वैभव सिंह says

    आपका काम बहतरीन है

  3. Abhishek says

    Very very nice

  4. aryan raj says

    thanks , because i’m his biggest fan.

  5. HindIndia says

    बहुत ही उम्दा ……… Very nice collection in Hindi !! 🙂

  6. lakshman kumar says

    Very nice

Leave A Reply

Your email address will not be published.