ऋग्वेदका सुबोध भाष्य – १ | Rigvedka Subodh Bhashya – 1

ऋग्वेदका सुबोध भाष्य – १ | Rigvedka Subodh Bhashya – 1

ऋग्वेदका सुबोध भाष्य – १ | Rigvedka Subodh Bhashya – 1 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : ऋग्वेदका सुबोध भाष्य – १ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : P. Shripad Damodar | P. Shripad Damodar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 43.2 MB है | पुस्तक में कुल 743 पृष्ठ हैं |नीचे ऋग्वेदका सुबोध भाष्य – १ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ऋग्वेदका सुबोध भाष्य – १ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge

Name of the Book is : Rigvedka Subodh Bhashya – 1 | This Book is written by P. Shripad Damodar | To Read and Download More Books written by P. Shripad Damodar in Hindi, Please Click : | The size of this book is 43.2 MB | This Book has 743 Pages | The Download link of the book "Rigvedka Subodh Bhashya – 1" is given above, you can downlaod Rigvedka Subodh Bhashya – 1 from the above link for free | Rigvedka Subodh Bhashya – 1 is posted under following categories Knowledge |


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पुस्तक का साइज : 43.2 MB
कुल पृष्ठ : 743

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में अग्निकी स्तुति करता हूं। मैं अग्नि के गुणों का वर्णन करता हूं अग्निदेव प्रकाश देता है, उष्णता देता हैं और गति करता है। जो प्रकाश बताकर उत्तम मार्ग बताता है, जो उष्णता देकर उरसाह बढ़ाता है।जो सबकी प्रगति करता है, वह देब वर्णनका विषय होने योग्य है।मनुष्य भी अन्य जनों को प्रकाश बताकर सन्मार्ग बताबे, जनतामें उत्साह उत्पन्न करके बढावे और सबकी उत्तम प्रगति करे । जो ऐसा करता है, वही समाज में सन्नि जैसा तेजस्वी धुरीण है ।

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