सम्राट अशोक की जीवनी : भगवतीप्रसाद पंथारी | Samrat Ashok Ki Jivni : Bhagwatiprasad Panthari | के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सम्राट अशोक की जीवनी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagwati Prasad Panthari | Bhagwati Prasad Panthari की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Bhagwati Prasad Panthari | इस पुस्तक का कुल साइज 44 है | पुस्तक में कुल 360 पृष्ठ हैं |नीचे सम्राट अशोक की जीवनी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सम्राट अशोक की जीवनी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Uncategorized, Biography
Name of the Book is : Samrat Ashok Ki Jivni | This Book is written by Bhagwati Prasad Panthari | To Read and Download More Books written by Bhagwati Prasad Panthari in Hindi, Please Click : Bhagwati Prasad Panthari | The size of this book is 44 | This Book has 360 Pages | The Download link of the book "Samrat Ashok Ki Jivni" is given above, you can downlaod Samrat Ashok Ki Jivni from the above link for free | Samrat Ashok Ki Jivni is posted under following categories Uncategorized, Biography |
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इदय भी बदल जायेगा और हिंसात्मक समाज की प्रतिहिंसात्मक प्रचि भी।
क्या यह सम्भव है ? क्या इतिहास में कभी ऐसा हुअा भी है ? इसी के प्रमाण में अशोक' की जीवनी उपस्थित की गई है। मेरा पका विश्वास है कि मनुष्य के हृदय में वदि जरा भी स्वाभाविक स्नेह अपने मानव भाइयों और जीवों के प्रति वर्तमान है, तो निश्चय ही हिंसा की * रताओं की विभीषिका उसे उसके क़र मार्ग से हटा कर प्रेम-पथ पर ला सकती है। क्या ‘कलिंग' की कर विभीपिका
और मानव-वेदना की करुण चित्कार ने अशोक के हृदय को बदल न दिया था ? उस हृदय-परिबर्तन के बाद ही ती अशोक ने हिंसात्मक बुद्ध को तिलांजलि देकर धर्म-विजय द्वारा हदय को विजय करने का सफर्म उठाया था, जिसमें वे काफी सफल भी हुए थे।
यदि अशोक जैसे साम्राज्यशाही का हृदय परिवर्तित हो सकता है, और यदि भारत का आज हजारों वर्ष पहले का बूढ़ा चक्रवर्ती अपने कायों द्वारा यह साबित करने में सफल हो सका कि सारी राज्य-व्यवस्था प्रेम और अईिसा के निर्मल एवं निःस्वार्थ अदिश पर संचालित हो सकती है, तो क्या आज के समाज के नेता और अधिपति, जो आज सभ्यता और संस्कृति में अपने को उस पुराने और वृद्ध जमाने से बहुत आगे समझते हैं, प्रेम और अहिंसा के सुन्दर और सद्प्रयत्नों को अपने हाथों में नहीं ले सकते १ अशोक की जीवनी को पेश करते हुए हमें विश्वास है कि अशोक स्वयं उन्हें अपने कमों द्वारा यह समझा सकने में समर्थ हो सकेंगे कि सचाई, ईमानदारी, तथा अहिंसा के स्नेहिक सिद्धांतों पर भी राज्य-व्यवस्था और राजसत्ता एवं अन्तर्राष्ट्रीय मैत्रियाँ कायम हो सकती हैं; और संसार को हिंसा के भय से मुक्त किया जा सकता है।