शकुंतला द टेक्स्ट ऑफ़ कावा लछमन सिह | Shakuntala The Text Of Kava Lachman Sih के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : शकुंतला द टेक्स्ट ऑफ़ कावा लछमन सिह है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 11.2 MB है | पुस्तक में कुल 168 पृष्ठ हैं |नीचे शकुंतला द टेक्स्ट ऑफ़ कावा लछमन सिह का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | शकुंतला द टेक्स्ट ऑफ़ कावा लछमन सिह पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Shakuntala The Text Of Kava Lachman Sih | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 11.2 MB | This Book has 168 Pages | The Download link of the book "Shakuntala The Text Of Kava Lachman Sih " is given above, you can downlaod Shakuntala The Text Of Kava Lachman Sih from the above link for free | Shakuntala The Text Of Kava Lachman Sih is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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कन्व बेटी सुन जब तू रनवास में वास पावे तब पति का आदर और गुरु जनों" की शुश्रूषा करियो सौतों में सपत्नीभाव से मत रहियो सहेली की भांति टहल करियो कदाचित पति तिरस्कार भी करे तो भी उस की आज्ञा से बाहर मत हजियो नौकर चाकरों को एक सा समझियो और अपस्वार्थी मत जियो जो कुलवधू इस धर्म में चलती हैं वे अच्छी गृहस्थिनी कहलाती हैं । और जो इस से विमुख होती हैं सो कुलकलङ्किनी होती हैं। जब पति संमुख आवे तो उठकर आदर कीजियो और जो कुछ वचन वह कहे सो नम्रता से सुन लीजियो ।