श्री लिंग पुराण : अज्ञात | Shri Linga Puran : Unknown

श्री लिंग पुराण : अज्ञात | Shri Linga Puran : Unknown

श्री लिंग पुराण : अज्ञात | Shri Linga Puran : Unknown के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : श्री लिंग पुराण है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 14.4 MB है | पुस्तक में कुल 390 पृष्ठ हैं |नीचे श्री लिंग पुराण का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री लिंग पुराण पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

Name of the Book is : Shri Linga Puran | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 14.4 MB | This Book has 390 Pages | The Download link of the book "Shri Linga Puran" is given above, you can downlaod Shri Linga Puran from the above link for free | Shri Linga Puran is posted under following categories dharm, hindu |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 14.4 MB
कुल पृष्ठ : 390

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| ॥ ॐ नमः शिवाय ॥ प्रधान लिंगमाख्यातं लिंगी च परमेश्वरः। (लिं०पु० १७-५)
। प्राक्कथन देवाधिदेव भगवान शंकर की महिमा से युक्त यह लिंग पुराण १८ पुराणों में अपना विशेष महत्व रखता है। इसमें भूत भावन परम कृपालु शंकरजी के ज्योतिर्लिंगों के उद्भव की परम पावन कथा है। इसमें ईशान कल्प का वृतान्त, सम्पूर्ण सर्ग, विसर्ग आदि दश लक्षणों से युक्त लोक कल्याण के लिए कहा गया है । १८ पुराणों की संख्या करते समय नारद पुराण के अनुसार यह ग्यारहवां महा पुराण है।
नारद पुराण के अध्याय १०२ में लिंगपुराण की विषय सूची दी गई है। नारण पुराण के अनुसार यह पुराण धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष' चारों पदार्थों का देने वाला है। यह पढ़ने सुनने वालों को भक्ति और मुक्ति प्रदान करता है। भगवान शंकर के महात्म्य को बताने वाले इसमें ११००० श्लोक हैं । यह सभी पुराणों में उत्तम कहा गया है।
भगवान वेद व्यास रचित इस ग्रन्थ में पहले योग का आख्यान फिर कल्प का आख्यान है। इसके बाद लिंग का प्रादुर्भाव तथा उसकी पूजा बताई गई है, सनत्कुमार तथा शैलादि के बीच सुन्दर सम्वाद का वर्णन है। फिर दधीचि का चरित्र तथा युग धर्म का वर्णन है। इसके उपरान्त आदि सर्ग का विस्तार से कथन तथा त्रिपुर का आख्यान है। इसमें लिंग प्रतिष्ठा, पशुपाश विमोचन, विश्वव्रत, सदाचार निरूपण, प्रायश्चित, अरिष्ट काशी एवं श्रीशैल का वर्णन, अन्धकासुर की कथा, वाराह भगवान का चरित्र, नरसिंह चरित्र, जलन्धर का वध, शिवजी के हजार नामों का कथन, काम दहन, पार्वती विवाह,

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