तंत्रागमीय ज्ञानकोश | Tantragamiya Gyankosha

तंत्रागमीय ज्ञानकोश | Tantragamiya Gyankosha

तंत्रागमीय ज्ञानकोश | Tantragamiya Gyankosha के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : तंत्रागमीय ज्ञानकोश है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vraj Vallabha Dwivedi | Vraj Vallabha Dwivedi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 57.8 MB है | पुस्तक में कुल 314 पृष्ठ हैं |नीचे तंत्रागमीय ज्ञानकोश का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | तंत्रागमीय ज्ञानकोश पुस्तक की श्रेणियां हैं : jyotish

Name of the Book is : Tantragamiya Gyankosha | This Book is written by Vraj Vallabha Dwivedi | To Read and Download More Books written by Vraj Vallabha Dwivedi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 57.8 MB | This Book has 314 Pages | The Download link of the book "Tantragamiya Gyankosha" is given above, you can downlaod Tantragamiya Gyankosha from the above link for free | Tantragamiya Gyankosha is posted under following categories jyotish |


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पुस्तक का साइज : 57.8 MB
कुल पृष्ठ : 314

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प्राचीन मिल साहित्य में उद्धृत कुछ आगम-ग्रन्थों के नाम अशुद्ध लगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिणभारत का सिद्धान्तथ दर्शन शनै: शनैः अद्वैतोन्मुख होता गया, किन्तु उत्तर भारत से गये त्रिलोचन शिवाचार्य ने सिद्धान्तसारावलि में और उसकी परम्परा के अघोरशिवाचार्य ने अपने सभी व्याख्या-ग्रन्थों में पौनगम के भाष्यकार तथा परवती काल के उमापति शिवाचार्य ने शतरत्नसंग्रह में कश्मीराद्वैतवादी दार्शनिकों की परम्परा का ही अनुसरण किया हैं। रौरवागम के कुछ श्लोकों को आधार बना कर मेयकपडदेव ने शिवज्ञानबोध नाम के प्रसिद्ध अन्य के माध्यम से अतोन्मुख दृष्टि को प्रवृत्त किया, ऐसा माना जाता है |

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