उपदेशामृत | Upadeshamrit

उपदेशामृत : अज्ञात | Upadeshamrit : Unknown

उपदेशामृत : अज्ञात | Upadeshamrit : Unknown के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : उपदेशामृत है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 100 KB है | पुस्तक में कुल 27 पृष्ठ हैं |नीचे उपदेशामृत का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | उपदेशामृत पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

Name of the Book is : Upadeshamrit | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 100 KB | This Book has 27 Pages | The Download link of the book "Upadeshamrit" is given above, you can downlaod Upadeshamrit from the above link for free | Upadeshamrit is posted under following categories dharm, hindu |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 100 KB
कुल पृष्ठ : 27

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

चित्त की शुद्धता ईश्वर को पाने के लिये अत्यावश्यक है, काम , कोथ , लोभ व
मोह रूपी दलदल से उभर कर ही चित्त की शुद्धता व उससे ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है ।
43।
संशयात्मक वृद्धि मनुष्य को अधोगति की ओर ले जाती है, उसका विनाश ही करती
है, इहलोक व परलोक में वह सदा दुखी ही रहता है ।
44।
हे पभु ! यह संसार बिचित्र है, पैसे के लिये सुकोमल और देवी जैसी सुन्दर नारियां
सब तरह के अंग प्रदर्शन करती हैं और सब तरह के कुकृत्य कर लेती हैं तू कब उनको
सवुद्धि देगा !
45।
अंत:करण की शुद्धता के लिये अहंकार व अभिमान का त्याग जरूरी है , गर्व मनुष्य
को पतन की ओर ले जाता है इसके त्याग से ही शुद्धता आयेगी तभी मनुष्य ईश्वर को पा
सकेगा ।
46 |
बहुत ज्यादा परिश्रम स्वयं के लिये दर्द बन जाता है ।
47।
कठिन परिश्रम के विना सफलता नहीं मिलती ।।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.