वक्तृत्व कला भाग 1 | Vatritav Kala Part 1 के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : वक्तृत्व कला भाग 1 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 05.3 MB है | पुस्तक में कुल 333 पृष्ठ हैं |नीचे वक्तृत्व कला भाग 1 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वक्तृत्व कला भाग 1 पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Vatritav Kala Part 1 | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 05.3 MB | This Book has 333 Pages | The Download link of the book "Vatritav Kala Part 1" is given above, you can downlaod Vatritav Kala Part 1 from the above link for free | Vatritav Kala Part 1 is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
इसप्रकार शृखलाबद्ध रूप में संकलित हैं कि किसी भी विषय पर हम बहुत कुछ विचार-सामग्री प्राप्त कर सकते हैं । सचमुच वक्तृत्वकला के अगणित बीज इसमे सन्निहित है । सूक्तियों का तो एक प्रकार से यह रत्नाकर ही है । अग्रेजी साहित्य व अन्य धर्मग्रंथो के उद्धरण भी काफी महत्वपूर्ण हैं। कुछ प्रसग और स्थल तो ऐसे हैं, जो केवल सूक्ति और सुभाषित ही नहीं है, उनमे विषय की तलस्पर्शी गहराई भी हैं और उसपर से कोई भी अध्येता अपने ज्ञान के आयाम को और अधिक व्यापक बना सकता है। लगता है, जैसे मुनि श्री जी वाडमय के रूप में विराट् पुरुष हो गए है।