वेदही वनवास | Vedahi Vanvas के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : वेदही वनवास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pandit Ayodhya Singh Upadhyay | Pandit Ayodhya Singh Upadhyay की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pandit Ayodhya Singh Upadhyay | इस पुस्तक का कुल साइज 6 MB है | पुस्तक में कुल 342 पृष्ठ हैं |नीचे वेदही वनवास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | वेदही वनवास पुस्तक की श्रेणियां हैं : Granth, literature, Poetry
Name of the Book is : Vedahi Vanvas | This Book is written by Pandit Ayodhya Singh Upadhyay | To Read and Download More Books written by Pandit Ayodhya Singh Upadhyay in Hindi, Please Click : Pandit Ayodhya Singh Upadhyay | The size of this book is 6 MB | This Book has 342 Pages | The Download link of the book "Vedahi Vanvas " is given above, you can downlaod Vedahi Vanvas from the above link for free | Vedahi Vanvas is posted under following categories Granth, literature, Poetry |
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इन पंक्तियों के पढ़ने के उपरान्त यह स्पष्ट हो जाता है कि श्रृंगार रस पर करुण रस का कितना अधिकार है और वह उसमें कितना व्याप्त है। यह कहना कि विना विप्रलम्भ के संभोग की पुष्टि नहीं होती, यथार्थ है और अक्षरशः सत्य है। प्रज्ञाचक्षु श्रृंगार साहित्य के प्रधान आचार्यं श्रीयुत् सूरदासजी की लेखनी ने श्रृंगार रस लिखने में जो कमाल दिखलाया है, जो रस की सरिता वहाई है उसकी जितनी प्रशंसा की जाय थोड़ी है। किन्तु संभोग श्रृंगार से विप्रलम्भ श्रृंगार लिखने में ही उनकी प्रतिभा ने अपनी हृदय-ग्राहिणी-शक्ति का विशेप परिचय दिया है। उद्धव सन्देश सम्बंधिनी कवितायें, श्रीमती राधिका | और गोपबालाओं के कथनोपकथन से सम्पर्क रखनेवाली मार्मिक रचनायें, कितनी प्रभावमयी और सरस हैं, कितनी भावुकतामयी और मर्मस्पर्शिनी हैं।