गांवों में औषधरत्न भाग-3 | Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3

गांवों में औषधरत्न भाग-3 | Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3

गांवों में औषधरत्न भाग-3 | Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3

गांवों में औषधरत्न भाग-3 | Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3 के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : गांवों में औषधरत्न भाग-3 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 23.06 MB है | पुस्तक में कुल 536 पृष्ठ हैं |नीचे गांवों में औषधरत्न भाग-3 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | गांवों में औषधरत्न भाग-3 पुस्तक की श्रेणियां हैं : ayurveda, health

Name of the Book is : Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3 | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : | The size of this book is 23.06 MB | This Book has 536 Pages | The Download link of the book "Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3 " is given above, you can downlaod Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3 from the above link for free | Ganvon Mein Aushadhratna Bhag-3 is posted under following categories ayurveda, health |

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पुस्तक का साइज : 23.06 MB
कुल पृष्ठ : 536

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वनौषधिया जगलमेंस लाकर या पसारियम माल लेकर उनका माफ करनी चाहिये। मिट्टी कूड़ा-कचरा दूर करना चाहिए मकडीका जाला लगी हुई, सडी, गली हुई तया अपरिपक्वको निकाल देनी चाहिए अधिक मिट्टी लगी हो, नो मूल, शाखा, फल आदिको उबलते जल में डाल थोडा चला कर तुरन्त जल निकाल, छायामें या मद तापमे सुरवाकर फिर चूर्ण कराना चाहिए। इस प्रकार माफ करनेपर मजदूरी बढ़ जाती है, वजन भी कम हो जाता है, कन्तु औषध प्रयोग सत्वर और सफल गुणदायी बनता है।

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