अभिशाप | Abhishap के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : अभिशाप है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Ramkumar Verma | Dr. Ramkumar Verma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Dr. Ramkumar Verma | इस पुस्तक का कुल साइज 624 KB है | पुस्तक में कुल 26 पृष्ठ हैं |नीचे अभिशाप का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अभिशाप पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature
Name of the Book is : Abhishap | This Book is written by Dr. Ramkumar Verma | To Read and Download More Books written by Dr. Ramkumar Verma in Hindi, Please Click : Dr. Ramkumar Verma | The size of this book is 624 KB | This Book has 26 Pages | The Download link of the book "Abhishap" is given above, you can downlaod Abhishap from the above link for free | Abhishap is posted under following categories literature |
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पुस्तक का विवरण : क्यों करने आई है मुक्त से, चिरसंचित अनुराग ? ऐ अनन्त यौवन वाली ! तू बार बार मत जाग || मेरा हृदय भग्न है उसके टूटे हैं सब द्वार, भाग गया है उससे रोका हआ अतिथि-सा प्यार ; वृद्धा आशा के जीवन के-लघु दिन है दो चार, नित्य निराशा के विष से मैं करता हूँ उपचार पड़ा हुआ है मृत-सा भू पर, जीवन-दीप-प्रकाश | अरी वेदने ! बिखर रहा है उसे तेरा हास