विजय का मार्ग कैसे पाएं : श्री परमहंस योगानंद | Vijay Ka Marg Kaise Payein : Shree Parmhans Yoganand के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : विजय का मार्ग कैसे पाएं है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Parmhans Swami Yoganand | Parmhans Swami Yoganand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Parmhans Swami Yoganand | इस पुस्तक का कुल साइज 6.6 MB है | पुस्तक में कुल 58 पृष्ठ हैं |नीचे विजय का मार्ग कैसे पाएं का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | विजय का मार्ग कैसे पाएं पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational
Name of the Book is : Vijay Ka Marg Kaise Payein | This Book is written by Parmhans Swami Yoganand | To Read and Download More Books written by Parmhans Swami Yoganand in Hindi, Please Click : Parmhans Swami Yoganand | The size of this book is 6.6 MB | This Book has 58 Pages | The Download link of the book "Vijay Ka Marg Kaise Payein" is given above, you can downlaod Vijay Ka Marg Kaise Payein from the above link for free | Vijay Ka Marg Kaise Payein is posted under following categories inspirational |
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के लिये स्थिर होकर क्या कर रहे हो, क्या सोच रहे हो इस का विश्लेषण करो। जो अपना आत्म-विश्लेषण नहीं करते, वे कभी नहीं बदलते। वे न बढ़ते हैं न घटते हैं, बस जहाँ हैं। वहीं अटककर रह जाते हैं। यह अस्तित्व की अत्यंत खतरनाक अवस्था हैं।
जब आप परिस्थितियों को अपने विवेक पर हावी होने देते हैं तब आप की सारी प्रगति रुक जाती हैं। ईश्वर के बारे में सब भूलकर समय व्यर्थ गॅवाना बहुत आसान है। इस से आप क्षुद्र बातों के बारे में ही अत्यधिक सोचते रहते हैं और भगवान के बारे में सोचने के लिये आपके पास कोई समय नहीं बचता। जब आप प्रत्येक रात्रि को अपना आत्मविश्लेषण करते हैं तब इस का ध्यान रखिये कि आप एक ही स्थान पर अटककर न रह जाएँ। आप इस जगत् में अपने आप को खोने नहीं, बल्कि अपने सच्चे स्वरूप को ढूंढने के लिये आये हैं। ईश्वर ने आपको अपने जीवन पर विजय प्राप्त करने के लिये अपना एक सैनिक बनाकर यहाँ भेजा है। आप उनकी संतान हैं और सबसे बड़ा पाप हैं अपने सर्वोच्च कर्तव्य को भूल जाना या उसके निर्वहन में टालमटोल करना। वह सर्वोच्च कर्तव्य हैं अपने अहं पर विजय प्राप्त करके ईश्वर के