चारुचर्या : पंडित देवदत्त शास्त्री हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Charucharya : Pandit Devdatt Shastri Hindi Book FRee PDF Download

चारुचर्या : पंडित देवदत्त शास्त्री | Charucharya : Pandit Devdatt Shastri

चारुचर्या : पंडित देवदत्त शास्त्री | Charucharya : Pandit Devdatt Shastri

चारुचर्या : पंडित देवदत्त शास्त्री | Charucharya : Pandit Devdatt Shastri के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : चारुचर्या है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Devdutta Shastri | Devdutta Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 21MB है | पुस्तक में कुल 30 पृष्ठ हैं |नीचे चारुचर्या का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | चारुचर्या पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu

Name of the Book is : Charucharya | This Book is written by Devdutta Shastri | To Read and Download More Books written by Devdutta Shastri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 21MB | This Book has 30 Pages | The Download link of the book "Charucharya" is given above, you can downlaod Charucharya from the above link for free | Charucharya is posted under following categories dharm, hindu |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 21MB
कुल पृष्ठ : 30

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दो शब्द सदाचार शिष्टाचार-विषय की यह छोटी-सी पुस्तक कश्मीरी महाकवि क्षेमेन्द्र ने लिखी है। मूल श्लोकों की व्याख्या करने का मेरा एकमात्र उद्देश्य यही है कि हमारी वर्तमान सन्तान चरित्र की ऊँचाई और गहराई समझकर उसपर आचरण करें । आचर। की सभ्यता को अपनाएँ, प्यार करें। हमारी वर्तमान शिक्षा-प्रात:7 में चरित्रवल बढ़ाने की कोई योजना नहीं है और न कोई लक्ष्य ही रखा गया है। यही कारण है कि विद्यार्थिवर्ग उत्तरोत्तर उच्छल र वे-लगाम होता जा रहा है, गह उनका दोप नहीं, उनके अभिभावकों, शिक्षकों की दुर्बलता नहीं बल्कि शिक्षा का दोष है। | यही हमारी शिक्षा-पद्धति में अन्य विषयों की भाँति चरित्र की शिक्षा देने की भी सुविधा हो जाए तो होनहार राष्ट्रनिर्माता शिंद्याथा, स्वदेश, स्वयैष के प्रति अनुरागी बन सकते हैं। | चारुचर्या में ऐसी ही शिक्षा दी गई है कि बालक या इ अपने कर्तव्य के प्रति सजग, सावधान होकर नियमित-संयमित जीवन व्यतीत कर सके ।
झोकों का अर्थ लिख देने के बाद भाषा की सरलता सुबघता पर भी विशेष ध्यान रखा गया है। आशा है हमारा प्रयास लोकोपयोगी सिद्ध होगा।
-देवदत्तशास्त्री

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