भारत छोडो आन्दोलन हिंदी पुस्तक पीडीऍफ़ में | Bharat chhodo Andolan hindi book in pdf के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारत छोडो आन्दोलन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shankar dayal Singh | Shankar dayal Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shankar dayal Singh | इस पुस्तक का कुल साइज 3.55 MB है | पुस्तक में कुल 92 पृष्ठ हैं |नीचे भारत छोडो आन्दोलन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारत छोडो आन्दोलन पुस्तक की श्रेणियां हैं : india, Knowledge, Uncategorized
Name of the Book is : Bharat chhodo Andolan | This Book is written by Shankar dayal Singh | To Read and Download More Books written by Shankar dayal Singh in Hindi, Please Click : Shankar dayal Singh | The size of this book is 3.55 MB | This Book has 92 Pages | The Download link of the book "Bharat chhodo Andolan" is given above, you can downlaod Bharat chhodo Andolan from the above link for free | Bharat chhodo Andolan is posted under following categories india, Knowledge, Uncategorized |
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क्रांति का जन्म प्रत्येक घर में जन-जन तक सस्ते मूल्य पर अच्छा साहित्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रकाशन विभाग द्वारा प्रारंग की गई हम सब की पुस्तकमाला की अतर्गत यह पुस्तक आपके हाथ में है। हैक युवा पीढ़ी को देश के रवतंत्रता आदोलन रो अवगत कराने कैनैदिश्य से इस शुंखला को शु् किया गया था। हिंदी में (सी 10 पुरतकं प्रकाशित की जा रही श्री मन्मधनाथ गुप्त द्वारा लिखित हमारी प्रथम पुस्तक क्रातिकारियों की कहानिया में देश के बलिदानी वीरों की गाथा पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है और अब यह पुस्सक भारत छोड़ो आंदोश स्पतंत्रता आंदोलन कं इतिहास के उस स्वर्णिम परिचेद से संबंधित है जिसने देश को आजादी की देहरी तक पहुंचाने में महत्तपूर्ण भूमिका निभाई। 1942 की क्रांति इस देश के इतिहास में वही स्थान रखती है जो फांस था सम की क्रांतियों का अपने-अपने देशों में है। इतने विशाल जन-समुदाय में निश्व के फ्रिसी भी द्रेश में इतनी बडी क्रांति में इतने बड़े पैमाने पर भाग नहीं लिया था। इस क्रांति ने देश की कायापलट कर एक नये भारत का मिर्माण क्रिया उसकी राजनीति की एक नयी दिशा प्रदान की और प्रदान किया असहयोग का पथ जिसका अदूभुत परिणाम था भारत की ग्वेत्रता। जणिसिक युद्ध का यह चमत्कार आज भी सारे विश्व को चमा्कृत किए हुए है। 1942 हर दृष्टि दो राष्ट्रीय संग्राम का एक भप्रततिम वर्ष कहा जाएगा क्योंकि अमेकानेक घटनाओं ने इस वर्ष (के प्रकार से सारे विश्व के भावी इतिहास को नया सोह दिया था| जाशा है बह पुस्तक सभी पाठकी तथा विशेष रुप से युवा पाठकों के लिए प्रेरणाप्रद सिद्ध होगी। हा श्याम सिंह शशि