बृहद विमानशास्त्र – महर्षि भरद्वाज | Brihad Viman Shastra – Maharshi Bharadwaj

बृहद विमानशास्त्र – महर्षि भरद्वाज  | Brihad Viman Shastra – Maharshi Bharadwaj

बृहद विमानशास्त्र – महर्षि भरद्वाज | Brihad Viman Shastra – Maharshi Bharadwaj के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : बृहद विमानशास्त्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Maharshi Bharadwaj | Maharshi Bharadwaj की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 13.3 MB है | पुस्तक में कुल 368 पृष्ठ हैं |नीचे बृहद विमानशास्त्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | बृहद विमानशास्त्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu, history, india, Uncategorized

Name of the Book is : Brihad Viman Shastra | This Book is written by Maharshi Bharadwaj | To Read and Download More Books written by Maharshi Bharadwaj in Hindi, Please Click : | The size of this book is 13.3 MB | This Book has 368 Pages | The Download link of the book "Brihad Viman Shastra" is given above, you can downlaod Brihad Viman Shastra from the above link for free | Brihad Viman Shastra is posted under following categories dharm, hindu, history, india, Uncategorized |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : , , , ,
पुस्तक का साइज : 13.3 MB
कुल पृष्ठ : 368

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

प्रकाशकीय निवेदन आर्य जगत् की शिरोमणि सावदेशिक आर्यप्रतिनिधि सभा की ओर से महर्षि भरद्वाजकृत तीन सहस्र श्लोकों से युक्त वृहदू विमानशास्त्र के भाषाभाष्य को जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता है।
यह पन्ध विमान-विद्याविषयक अलभ्य सामग्री से परिपूर्ण है जिसमें उक्त विद्या की बड़ी सूक्ष्मता से विवेचना की गई है। इस ग्रन्थ में विमानों के बहुसंगषक प्रका, नाम, उनके निर्माण और संचालन के विविध उपायों के वर्णन को पढ़कर मनुष्य आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकता। निश्चय ही यह अन्य यन्त्रविणा और विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी क्रान्ति का सन्देशहर सिद्ध होगा।
रामायण में आए पुष्पक विमान का वर्णन विज्ञान के परिडतों द्वारा कपोल कल्पना और धर्मभीरु भोले भाले जन समाज के द्वारा देव चमत्कार समझा जाता था । आधनिक काल मैं जब वेदोद्धारक आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द ने वेदों के आधार पर इस विद्या की चर्चा की और अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका'' में एक अध्याय इस विषय के अर्पण किया तो वैज्ञानिकों को मुख्यतः पाश्चाय विद्वन्मएडली को विश्वास नहुषा । परन्तु भौतिक विज्ञान और गन्त्रविन की य ब प्रगति हुई त्यो त्यो मर्षि दयान के धन की प्रामाणिकता
और प्राचीन भारत में इस विवा के पूर्ण विकास की सम्भावनाए' प्रतिक्षित होती गई और वे अमरिका थामी विदुषी लिसे हीलर विलोक्ल के शब्दों में इन संभावना को निम्न प्रकार अभिध्यक्त करने के लिये विवश हुए :--
"हमने प्राचीन भारत के धर्म के विषय में सुना और पढ़ा है। यह उन महान् वेदों की भूमि है जहां अत्यन्त अद्भुत प्रग्ध हैं जिन में न केवल पूर्ण जीवन के लिए ही उपयोगी धर्मतत्व बताए गए हैं अपितु न सय का भी प्रतिपादन किया गया है जिन्हें समस्त विज्ञान ने साथ प्रमाणित किया है। बिजली, रेडियम, एलेक्ट्रन्स विमान ( हवाई जहाज ) आदि सब चीजें वेदों के द्रष्टा ऋषियों को ज्ञात प्रतीत होती हैं।"
अर्वाचीन काल में राइट बन्धुओं को वायु–यान के आविष्कार का श्रेय प्राप्त है। जब उनके बनाए हुए विमान आकाश में जुटने लगे तव विज्ञानवेत्ताओं को दिक ज्ञान विज्ञान की प्रामाणिकता और महर्षि दयानन्द की स्थापनाओं की सत्यता को स्वीकार करना पड़ा।
महर्षि भरद्वाजत प्रस्तुत पन्थ में "निर्मध्य तद्वेदाम्बुधिं भाजो महामुनिः । नवनीतं समुदत्य

Share this page:

12 Comments

  1. error 404 not found …. aisa aata h bro … ise download karne se…. actually can’t able to download it due to 404 …. blah blah blah link was not found on this server… ,. /may be u should fix it ASAP/

  2. You are doing a great job in providing ancient knowledgeable materials to the interested youth. I wish that your work reaches the Indian youth who have been cut off from their origins. So that may benefit from our ancient vedas.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *