चार अध्याय | Chaar Adhyay

चार अध्याय : रविन्द्रनाथ टेगोर | Chaar Adhyay : Ravindranath Tagore

चार अध्याय : रविन्द्रनाथ टेगोर | Chaar Adhyay : Ravindranath Tagore के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : चार अध्याय है | इस पुस्तक के लेखक हैं : ravidranath tagore | ravidranath tagore की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2 MB है | पुस्तक में कुल 130 पृष्ठ हैं |नीचे चार अध्याय का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | चार अध्याय पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

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पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 2 MB
कुल पृष्ठ : 130

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लिये क्लास खोला, उसी के साथ कॉलेज के छात्रो को 'बॉटनी और 'जियालॉजी' में सहायता करने का भी भार लिया । क्रमश इम क्षुद्र संगठन के गुप्त तहखाने को चीरती हुई पद्धयन्न की कुटील जजीर कारागार के आगन के बीचोबीच होती हुई बहुत दूर तक बिखर गई ।।
इन्द्रनाथ ने पूछा, 'एला, तुम यहाँ हो ?'
एला ने कहा, 'अपने दलबालो को मेरे घर पर जाने से मनाही वरदी है, इसलिये उन्होने मुझे ही यहां बुलाया है।'
'यह सूचना मुझे पहले ही मिल चुकी थी खबर पाते ही मैंने उन्हें अन्य जरूरी गाम में लगा दिया है । अब मैं उन सबो की ओर से माफी मांगने आया है, विल भी चुपता कर दूंगा।' | 'आपने मेरा निमन्त्रण क्यो तोड़ दिया ?'
‘युवको पर तुम्हारी सहृदता का जो प्रभाव है, उसे दबा देने में लिए । कल एक लेख पढोगी जिसे मैंने तुम्हारे नाम से अखबार में भेज दिया हैं ।'
‘क्या आपने लिखा है । मला, कही आपकी कलम भी छिपी रह सकती है ! लोग उसे असली नहीं समझेंगे ।'
‘वाये हाथ को कच्ची लिखावट बुद्धि का परिचय नही, सदुपदेश मात्र है।'
‘किस तरह ?'
'तुमने लिखा है-युवक कच्ची उम्र में ही यौन-सज्ञा द्वारा देश को सत्यानाश तक पहुँचाने पर आमदा हैं । बग-नारियो के प्रति तुम्हारी सकरुण अपोल यही है कि वे इन जवानों के दिमाग ठण्डे करें । तुमने लिखा है-बातो से तिरस्कार करने पर उन के मानो पर जु तक नही । रेगेगी । उनके बीच में उतरना पडेगा,

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2 Comments
  1. nahar singh says

    Some links are not working. Plz update them

    1. Jatin says

      which book u r talking about? tell us we will update the link for sure

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