छन्दोग्योपनिषद | Chhandogyopnishad के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : छन्दोग्योपनिषद है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 31.4 MB है | पुस्तक में कुल 974 पृष्ठ हैं |नीचे छन्दोग्योपनिषद का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | छन्दोग्योपनिषद पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays, dharm, education
Name of the Book is : Chhandogyopnishad | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 31.4 MB | This Book has 974 Pages | The Download link of the book "Chhandogyopnishad" is given above, you can downlaod Chhandogyopnishad from the above link for free | Chhandogyopnishad is posted under following categories Stories, Novels & Plays, dharm, education |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
जब मेरा जन्म हुआ, विद्याका प्रकाश न था, अन्धकार चारों तरफ़ छायाथा, मार पीट मची थी, यवनों का राज था, जो चाही सो किया, कोई किसी को पूछता न था, धने की जगह अधर्म, नीति की जगह अनीति, शान्ति की जगह अशान्ति फैली थी, बली निर्बली को खाये जाते, दुर्जन सज्जन को तंग करते, दीन दुःखी को दुष्ट पकड़ लेजाते, और मार मार कर उनका धन हरण करते, परमात्मा ने देखा कि अब यवनों के पूर्व कर्मफल दे चुके, उनके पाप का प्याला भरगया, उसने उसको उलट दिया, अंग्रेज़ी सेना देश में घुसकर फैलगई, यवनों, की सेना भाग निकली. दो साल के अन्दरही अन्दर औरका और होगया. पाठशालायें बड़े बड़े नगरों में खुलगई, और लड़के पढ़ने लगे.