हिमवंत का एक कवि | Himvant Ka Ek Kavi

हिमवंत का एक कवि | Himvant Ka Ek Kavi

हिमवंत का एक कवि | Himvant Ka Ek Kavi के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : हिमवंत का एक कवि है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shambhu Prasad Bahugana | Shambhu Prasad Bahugana की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 23 MB है | पुस्तक में कुल 52 पृष्ठ हैं |नीचे हिमवंत का एक कवि का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिमवंत का एक कवि पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Himvant Ka Ek Kavi | This Book is written by Shambhu Prasad Bahugana | To Read and Download More Books written by Shambhu Prasad Bahugana in Hindi, Please Click : | The size of this book is 23 MB | This Book has 52 Pages | The Download link of the book "Himvant Ka Ek Kavi " is given above, you can downlaod Himvant Ka Ek Kavi from the above link for free | Himvant Ka Ek Kavi is posted under following categories literature |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 23 MB
कुल पृष्ठ : 52

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

प्रकृति के साथ भावना का सुंदर गीतात्मक समन्वय श्री चंद्रकुंवर बत्र्वाल की सबसे बड़ी विशेषता है। कवि दिनांत देखता है। घने तम में दिन के सुनहले श्रोतों को खोते देखता है किंतु इस विषाद से उसके हृदय की शोभा मलिन नहीं हो जाती। वह संध्या को भी नभ में तारों के आलोक जगाती आते देखता है । रात्रि का अंधकार इस आलोक की दीप्त शोभा में सुहावना हो जाता है, उसका भयावह रूप भी मनोहर हो जाता है इसलिए संध्या के चित्रण में आनंद और सौंदर्य को ही कवि बिखेरता है । गौओं के झुण्डों के घर आते समय उनके खुरों से आकाश में उड़ती हुई धूल, डूबते सूर्य की स्वर्णिम किरणों से, सुवर्ण की उड़ती हुई सौंदर्यमयी धूल बन जाती है, जो मानों संध्या से स्वागतार्थ उससे आगे-आगे बिखरती जा रही है।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.