हमें विद्युत के बारे में कैसे पता चला | How We Find About Electricity

हमें विद्युत के बारे में कैसे पता चला : इसाक असिमोव | How We Find About Electricity : Isaac Asimov

हमें विद्युत के बारे में कैसे पता चला : इसाक असिमोव | How We Find About Electricity : Isaac Asimov के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : हमें विद्युत के बारे में कैसे पता चला है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Isaac Asimov | Isaac Asimov की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.7 MB है | पुस्तक में कुल 20 पृष्ठ हैं |नीचे हमें विद्युत के बारे में कैसे पता चला का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हमें विद्युत के बारे में कैसे पता चला पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, science

Name of the Book is : How We Find About Electricity | This Book is written by Isaac Asimov | To Read and Download More Books written by Isaac Asimov in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.7 MB | This Book has 20 Pages | The Download link of the book "How We Find About Electricity" is given above, you can downlaod How We Find About Electricity from the above link for free | How We Find About Electricity is posted under following categories children, science |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 1.7 MB
कुल पृष्ठ : 20

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

.
विद्युत की कहानी 2500 वर्ष पूर्व पृथ्वी के पश्चिमी सिरे के देश टर्की से शुरू हुई। उस स्थान पर एक शहर
मैग्नीशिया था जहां के लोग ग्रीक भाषा बोलते थे। शहर के पास एक चरवाहा अपनी भेड़ों को चराता था। पथरीले रास्ते पर चढ़ने के लिए वह लोहे की नोक बाली छड़ी का उपयोग करता था। एक दिन उसने लोहे की नोक को पत्थर से स्पर्श किया तो उसे आभास हुआ कि छड़ी थोड़ी पत्थर से विषकी हुई हैं। क्या पत्थर पर कोई चिपकने वाला पदार्थ था? उसने पत्थर को उंगली से छुआ और देखा कि वहां कोई भी चिपकने वाला पदार्थ नहीं था। लोहे की नोक के अतिरिक्त पत्थर पर कुछ भी नहीं चिपका था। चरवाहे ने यह बात अन्य लोगों को भी बताई। थलेस (Thales) नाम का एक विद्वान उस क्षेत्र में रहता था। आज उसे वैज्ञानिक
*
कह सकते हैं। उसने मैग्नीशिया के एसे पत्थरों के विषय में
• सुन रखा था तथा उसके पास कुछ वैसे पत्थर भी थे। ये ---
--- पत्थर केवल लौह पदार्थों को ही आकर्षित करते थे और
किसी को नहीं। थलेस ने इस पत्थर को मैग्नीशिया शहर के नाम पर चुम्बकीय पत्थर का नाम दिया। हम हिंदी में इसे चुम्बक कहते हैं।
थलेस को यह आश्चर्य हुआ कि कैसे एक निर्जीव सा पत्थर का टुकड़ा किसी पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करता है। उसे इस बात पर भी आश्चर्य हुआ कि यह पत्थर केवल लोहे को ही खींचता था। उसने सोचा क्या किसी अन्य वस्तु में भी इस प्रकार का विशेष गुण होगा? उसने दूसरे पदार्थों की भी जांच की। थलेस ने एक अन्य कांच जैसे सुनहरे रंग के पदार्थ की जांच की जिसे हम अम्बर या कहरुआ (amber) कहते हैं। परन्तु ग्रीक भाषा में इसे "इलेक्ट्रान (elektron)" कहते हैं। अम्बर ने लोहे को आकर्षित नहीं किया। परन्तु उसको उंगलियों से रगड़ने पर अम्बर की खुशबू और भी अधिक हो गयी।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.